आज की महिलाएं बहुत जागरूक हो गई है। वह घर के साथ-साथ देश को भी चलाने में सक्षम है। महिलाएं अब हर क्षेत्र में कार्यरत है। बड़े बड़े काम भी महिलाएं अब खुद ही कर लेती है। आज हम एक ऐसी लड़की के बारे में जानेंगे जो किसी दूसरे पर निर्भर नहीं है। वह अपना काम स्वयं ही करती है।
पंचकूला के अमरावती एनक्वेल में रहने वाली महिमा लड़कियों के लिए एक प्रेरणा है। 21 वर्षीय महिमा पंजाब के इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ती है। पीईसी की छात्रा महिमा ने प्रथम प्रयास में आर्मी की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त की। महिमा के सफलता के कारण उनका पूरा परिवार गौरवान्वित महसूस कर रहा है। उनको बचपन से ही इंडियन आर्मी में जाने का सपना था।

उन्होंने खूब मेहनत की और अपने सपने को पूरा किया। फिलहाल महिमा की ट्रेनिंग होने वाली है। उसके बाद लेफ्टिनेंट के पद पर वह नौकरी ज्वाइन करेंगी। वह इंजीनियरिंग की विद्यार्थी है। सिविल इंजीनियरिंग की फील्ड आर्मी के माध्यम से लड़कियों के लिए डायरेक्ट एंट्री में 2 पद एवं 8 नियुक्ति होनी थी। कम पद की बहाली के लिए लोगों ने हजारों की संख्या में फॉर्म भरा था। 700 लोगों को छाट कर शॉर्टलिस्ट किया गया।
प्रथम स्थान प्राप्त किये महिमा बताती है की 9 से 13 जून को बेंगलुरु में उनका एसएसबी हुआ था। लेकिन क’रोना काल में उन्हें बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। सारे लोग परेशान थे लेकिन महिमा को अपने मुकाम तक पहुंचने का जुनून था। उस समय महिमा एसएसबी में अकेले थी। उनके साथ कोई नहीं था। उनके फिजिकल टेस्ट में मास्क और शिर्डी के कारण बहुत परेशानी हुई।

महिमा को 42 दिन का समय मिला ताक़ि वह अपने आप को फिट कर सके। महिमा अपने शरीर को फिट करने के लिए दिन रात मेहनत की। महिमा के मित्रों ने भी उनका खूब साथ दिया। वे अपने आप को फिट करने में कामयाब रही। महिमा को बहादुर बार वेटर वशिका त्यागी से बहुत प्रेरणा मिली। उन्होंने वशिका त्यागी का भाषण सुना तो उन्होंने भी आर्मी में जाने का निश्चय किया।
इन्हें आर्मी में जाने का बहुत मन था। वह बचपन से ही बहुत एक्टिव थी। उन्होंने आर्मी में जाने के लिए अपने आप को खुद ही तैयार की। 4 साल तक कॉलेज में वॉलिंटियर के तौर पर कार्य कर चुकी है। महिमा हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम स्थान लाती थी।