आजकल के युग में आत्मनिर्भरता अति आवश्यक मानी जाती है। आत्मनिर्भरता को सीधे लोग आत्मसम्मान से जोड़ देते हैं।

आइए ऐसी ही एक कहानी एक बुजुर्ग की है जो उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के गोपालपुर के रहने वाले हैं।इनका नाम बलदेव राज अहूजा है। आहूजा जी की उम्र 83 वर्ष है।फिर भी आत्मसम्मान के कारण यह हर सुबह अपने बुढ़ापे की सहारा लाठी तथा वजन करने वाली मशीन के साथ निकल पड़ते हैं। वह माधव नगर स्थित पंजाब नेशनल बैंक के पार्किंग में मशीन को लेकर बैठते हैं तथा आते जाते लोगों का वजन मापते हैं। इससे हुई आमदनी से उनके परिवार का भरण- पोषण होता है।

आपको बता दें कि कुछ वर्ष पहले बलदेव के बड़े बेटे की मौत हार्ट अटैक के कारण हो गई। बलदेव के बेटे की इच्छा थी कि उनके नेत्र को दान कर दिया जाए और ऐसा ही हुआ। बदले में बलदेव को कुछ आर्थिक मदद मिल रही थी लेकिन बलदेव ने यह कहते हुए ठुकरा दिया की किसी से लिया हुआ मदद कभी ना कभी चुकाना ही पड़ता है चाहे वह अगले जन्म में ही क्यों ना हो। बलदेव का यह जज्बा तथा खुद्दारी तारीफ के काबिल है।