भक्ति में जो भक्त सदैव लगे रहते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है, कल्याणकारी या शुभकारी। यजुर्वेद में शिव को शांतिदाता बताया गया है। ‘शि’ का अर्थ है, पापों का नाश करने वाला, जबकि ‘व’ का अर्थ देने वाला यानी दाता। पर क्या आपको पता है कि शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है ? कई लोग इसके विषय में कुछ नही जानते हैं।तो आइए जानते हैं कि महादेव के शिवलिंग का अर्थ क्या होता है?
शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है और कैसे इसका गलत अर्थ निकालकर लोगों को भ्रमित किया गया, यह अपने आप में शोध का विषय है। यहां तक कि कुछ हिन्दू ही शिवलिंग की पूजा की आलोचना करते हैं। छोटे-छोटे बच्चों को बताते हैं कि हिन्दू लिंग और योनी की पूजा करते हैं।

जबकि सच्चाई यह है कि इन लोगों को संस्कृत का वास्तविक ज्ञान नहीं होता है। आज के समय में कुछ अज्ञानी किस्म के प्राणियों ने परम पवित्र शिवलिंग को जननांग समझ कर पता नही क्या-क्या कपोल कल्पित अवधारणाएं फैला रखी हैं।
शिवलिंग के सन्दर्भ में लिंग शब्द से अभिप्राय चिह्न, निशानी, गुण, व्यवहार या प्रतीक है। इसलिए यहां लिंग शब्द का मतलब चिन्ह, निशानी, गुण या व्यवहार होता है।

यह भी पढ़ें: ‘काला जीरा’ की खेती ने बदल दी है किसानों की ज़िंदगी, किसान कमा रहे हैं दुगना मुनाफ़ा: जानिए तरीका
देवों के देव महादेव।
जब हमारे महापुरुषों, ऋषि मुनियों ने लाखों वर्ष पूर्व शिवलिंग की रचना की और उसे विश्व के सामने रखा तब उनकी यह खोज अद्वितीय थी। असल में यह पूरे ब्रह्मांड, ऊर्जा, पदार्थ, मनुष्ययोनी, जीवन, उत्पत्ति और उदय का प्रतिनिधित्व करता है। सिर्फ यही नहीं शिवलिंग से हमें मानव जीवन के उदय व पतन के बारे में पता चलता है, सृष्टि का ज्ञान होता है व यह कैसे चलती है इसके बारे में पता चलता है।

शिव और आदि शक्ति।
महादेव सभी जगह विद्यमान हैं। शिव को विभाजित नहीं किया जा सकता है अर्थात शिव अविभाजित हैं। शिव को देखा नही जा सकता है अर्थात शिव अदृश्य हैं। शिव शुन्य के द्योतक हैं अर्थात उनका न कोई आदि है और न कोई अंत। वह शिव हैं। वह सर्वशक्तिमान हैं। वही, जिससे विभाजित होकर नयी सरंचनाएं बनती हैं, जो सीमाओं से परे है, जो आदिशक्ति हैं, वही शिव हैं।

यह भी पढ़ें: गेंदा के फूलों की खेती ने बदल दी किस्मत, जानें किस तकनीक से किसान को हो दुगना मुनाफा…
शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग का अर्थ है अनंत। अनंत अर्थात जिसका न कोई अंत है और न ही आरंभ।इसलिए हमें गलत अवधारणाओं से बचना चाहिए। किसी भी चीज के बारे में सही जानकारी लेने के बाद ही किसी को उसके बारे में बताना चहिए। वैसे भी कई बीमार मानसिकता के लोग हिन्दू धर्म को बदनाम करने का कोई मौका नहीं चूकते हैं, इसलिये हमें सही जानकारी रखकर उनका सामना करना चाहिए।