कृषि भी रोजगार का एक बेहतर उदाहरण है। खेती करने में बहुत मेहनत लगती है। इसीलिए आजकल के लोग खेती करना नहीं चाहते। आज हम ऐसे ही एक युवक के बारे में जानेंगे जो बिहार में स्ट्रॉबेरी की खेती किए और सफल भी हुए। एकलव्य कौशिक बिहार के बेगूसराय का रहने वाला है। एकलव्य का जन्म 26 जून 2006 को बिहार के बेगूसराय के मंझौल गांव में हुआ।एकलव्य 10वीं कक्षा में पढ़ते है।
एकलव्य ने 1000 स्ट्रॉबेरी का पेड़ 2700 रूपए में खरीद कर लगा दिया। एकलव्य स्टोबेरी की खेती के जरिए अच्छी कमाई कर रहा है। उसके इस काम पर लोगों ने मजाक उड़ाया लेकिन एकलव्य किसी की बात को ध्यान में ना लेते हुए अपने काम में मेहनत किया और सफलता भी हासिल की। एकलव्य अपने एक इंटरव्यू में बताया कि उसे स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में शुरू में कुछ पता नहीं था लेकिन यूट्यूब के माध्यम से उसने स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में जानकारी प्राप्त की। एकलव्य 1000 खास किस्म की स्ट्राबेरी के पेड़ हिमाचल से मंगवाया था, जो मूलतः ऑस्ट्रेलियन है।

उसने खेत की जुताई कराई और स्ट्रॉबेरी के पौधे रोप दिए। धीरे धीरे स्ट्रॉबेरी में फल आने शुरू हो गए। खासकर स्ट्रॉबेरी के पौधे के लिए ठंडी वातावरण की आवश्यकता होती है, लेकिन इसके लिए अनुकूल वातावरण भी बनाया जा सकता है। एकलव्य के पिता रवि शंकर सिंह ट्रक ट्रांसपोर्ट का काम करते हैं। एकलव्य खेती के साथ-साथ अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देते हैं। एकलव्य 14 वर्ष की उम्र में ही किसानों के लिए एक मिसाल बन गया है।
पूरे परिवार को एकलव्य पर गर्व है। एकलव्य के इस कार्य में उसके परिवार ने उसका पूरा साथ दिया। एकलव्य को लागत छोड़ कर 60 हज़ार रुपए तक का मुनाफा हुआ, होगा ऐसा अनुमान है। एकलव्य को फलों के बिकने के लिए लोकल मार्केट से ऑर्डर भी मिल गए है। एकलव्य के गांव में परंपरा की खेती ही की जाती है, जिससे किसानों का अच्छा मुनाफा नहीं हो पाता है। किसानों के फसल खराब हो जाने के कारण उन्हें अच्छा मुनाफा नहीं मिलता और कर्ज लेना भी पड़ जाता है।

नए प्रयोग कर अच्छी कमाई कर सकते हैं यह किसानों का समझाना बेहद जरूरी है। बड़े बाजारों में स्ट्रॉबेरी की कीमत 600 रू तक भी है लेकिन लोकल बाजारों में 50 रू किलो से लेकर 80 रू किलो तक है। एकलव्य स्ट्रॉबेरी की फसल को रोपण के समय बहुत ध्यान देते थे। एकलव्य की स्ट्रॉबेरी की रिसर्च में उसके फूफा कुमार शैलेंद्र प्रियदर्शी ने भी खूब मदद की जो जियोलॉजिकल के प्रोफेसर। शैलेंद्र एकलव्य की हिम्मत बढ़ाते रहें।