दहेज प्रथा हमारे देश की बहुत बड़ी समस्या है। दहेज प्रथा के कारण ही कई बेटियों को जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है या फिर उन्हें अशिक्षित रखा जाता है। लड़कियाँ अशिक्षित होने के कारण अपने अधिकारों से वंचित रह जाती है, शिक्षा के महत्व को नहीं समझ पाती। कई लोग तो अपनी बेटी की शादी के लिए घर, जमीन आदि भी बेचने पर मजबूर हो जाते हैं। हमें अक्सर सुनने को मिलता है कि दहेज न मिलने के कारण ससुराल वाले लड़की को घर से निकाल देते हैं और इसी वजह से कई लड़कियां आ’त्मह’त्या करने पर मजबूर हो जाती हैं।

आज हम एक ऐसे शख्स के बारे में जानेंगे जिन्होंने दहेज प्रथा का विरोध करते हुए देश में एक मिसाल कायम किया है। आज हम उस शादी के बारे में जानेंगे जी मात्र 1 रुपए में हो गई है। इस शादी की चर्चा करते लोग थक नही रहे हैं। यह अनोखी शादी हरियाणा के सिरसा स्थित आदमपुर इलाके में हुई है। दूल्हा बलेंद्र चूलीखुर्द गांव का रहने वाला है। दूल्हे के पिताजी का नाम छोटू राम खोखर और माता का नाम संतोषी है। दुल्हन कांता खैरमपुर की रहने वाली है। उनके पिताजी का नाम भजन लाल है। बलेन्द्र और कांता दोनों उच्च शिक्षित हैं। उनदोनों की ये शादी हमारे समाज के लोगो के लिए एक बहुत बड़ी सीख है।

बलेंद्र ने अपनी शादी को लेकर अपने गांव में भी किसी प्रकार का दिखावा नही किया। उन्होंने अपनी शादी को लेकर शर्त रखी थी कि ना ही उन्हें दहेज चाहिए और ना ही किसी प्रकार के रश्मों-रिवाजों को वे मानेंगे। वे नहीं चाहते कि उनकी शादी में किसी भी तरह की फिजूलखर्ची हो। दुल्हन के परिजन दूल्हे को 4 करोड़ रुपए दहेज के रूप में देने वाले थे लेकिन दूल्हे ने दहेज को बिलकुल मना कर दिया और बोला – ‘आपने अपनी बेटी देदी यही बहुत बड़ी बात है’।

दुल्हन कांता और उसके परिवार दूल्हे के इस फैसले पर सहमत हो गए। दूल्हा शादी में कुछ गिने चुने परिजनों को बारात में ले कर आया और मात्र 1 रुपए और एक नारियल भेंट के रूप में स्वीकार किया। वो शादी करने के बाद बिना किसी बैंड बाजे के साथ शांति पूर्वक बारात और दुल्हन को ले कर भी चले गए। इस शादी के बारे में स्थानीय लोग कहते हैं कि अगर सब की सोच ऐसी हो जाए तो लड़कियों के शिक्षा में भी बढ़ावा मिलेगा। लड़कियां भी जागरूक होंगी और अपने अधिकारों के बारे में जानेंगी।