आजकल की दुनिया में कोई किसी का नहीं है। माँ-बाप अपने बच्चों के लिए कितने ही सितम उठा लें लेकिन बुढ़ापे में बच्चे उसी माँ-बाप को बोझ समझने लगते हैं और उन्हें बेसहारा छोड़ देते हैं। आज हम आपको ऐसे ही बेसहारा वृद्ध माँ के बारे में बताएंगे जिन्हें बहुत जद्दोजहद के बाद सहारा मिल पाया।
दरअसल माधवी शर्मा नाम की एक समाजसेवी जब 28 मई को कमिश्नर कॉलोनी पार्क के रास्ते से जा रही थी तो उनकी नजर एक वृद्ध माँ पर पड़ी। वो वृद्धा वहाँ अकेले बैठी थी। माधवी ने वहाँ रुक कर उस वृद्ध माँ से अकेले होने का कारण पूछा। यह बात पूछते ही वृद्ध माँ के आँखो से आंसू बहने लगे।
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उस वृद्ध माँ ने माधवी शर्मा को बताया कि मेरी बेटी मेरा मकान बेचकर सारे पैसे ले गई और मुझे इस हाल में छोड़ गई। मेरा कोई लड़का नहीं है। मै कई दिनों से सड़को पर इधर-उधर भटक रही हूँ। उस वृद्ध माँ की बात सुनकर समाजसेवी माधवी शर्मा को बहुत कष्ट हुआ। उन्होंने उसी समय वन स्टॉप सेंटर से चिट्ठी लिखवाया और वृद्ध माँ को साथ लेकर वृद्धाश्रम पहुंच गई। लेकिन वहाँ बताया गया कि सामाजिक न्याय विभाग से अनुमती मिलने के बाद ही इनको यहाँ रखा जायेगा।
शनिवार-रविवार को सामाजिक न्याय विभाग की छुट्टी होने के कारण उस वृद्ध माँ का वन स्टॉप सेंटर में ही रखा गया। वहाँ की प्रभारी सरिता मेम ने मानवता दिखाते हुए सेंटर पर उस वृद्ध माँ का ख्याल रखा। फिर सोमवार से माधवी शर्मा ने न्याय विभाग का चक्कर लगाना शुरू किया। कड़ी मशक्कत के बाद बुधवार को विभाग से अनुमति मिल पाई। इसके बाद उस वृद्ध माँ को आश्रम पहुंचाया गया। पाँच दिनों के बाद उस वृद्ध माँ को सहारा मिल गया।
जब किसी के पास कोई सहारा नहीं होता तो भगवान किसी न किसी रूप में आकर सहारा जरूर देते हैं। आश्रम में वृद्ध माँ का अच्छी तरह ख्याल रखा जाने लगा। उस वृद्ध माँ ने माधवी शर्मा को बहुत आशीर्वाद दिया। इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करके माधवी शर्मा जैसी उदार दिल की महिलाओं का हौसला ज़रूर बढ़ाएं।