इस दुनिया में जब प्यार का जन्म हुआ तो उसकी शुरुआत ‘माँ के प्रेम’ से हुआ है। दुनिया में प्रेम के जितने भी रूप होंगे और जितना भी समर्पण की भावना होगी उनमे माँ का प्रेम सबसे सर्वोच्च स्थान रखता है। क्योंकि इस दुनिया में माता-पिता के अलावा ऐसा कोई भी व्यक्ति या कोई भी रिश्ता नहीं है जो बिना किसी भी स्वार्थ के चाहे वह शारीरिक, मानसिक, आर्थिक या अन्य प्रकार का स्वार्थ हो कहीं न कहीं प्रेम से जुड़ा होता है।
पर आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे है, जो आपको यह सोचने पर मजबूर करेगी कि क्या इतने प्यार के बावजूद भी कोई माँ अपने बच्चे को छोड़कर जा सकती है। जी हां ऐसा हुआ है। यह घटना फतेहगंज पश्चिमी के माधौपुर माफी गांव में हुई है। जहाँ एक माँ बिना किसी को बताए अपने नौ महीने की बेटी और तीन साल के बेटे को छोड़कर चली गई। अब बच्चों की जिम्मेदारी गरीब पिता पर है। आइये जानते है इस घटना के बारे में।
गरीब पिता का जनता दरबार में गुहार
फतेहगंज पश्चिमी के माधौपुर माफी गांव के अब्दुला के ज़िंदगी में अजीब समस्या आ गई है। उनकी पत्नी उनके नौ महीने की बेटी और तीन साल के बेटे को छोड़कर हमेशा के लिए घर से चली गई। अब्दुला की आर्थिक स्थिति ठीक नही होने के कारण अब उनके सामने चुनौती यह है कि वह कमाने जाए या अपने बच्चों की देखभाल करें। इस उलझन के निदान लिए इस बेबस पिता ने बरेली में दरगाह आला हजरत में लगे जनता दरबार में अपनी फरियाद सुनाई। यह जनता दरबार जमात रजा मुस्तफा की ओर से लगाया जाता है।

यह भी पढ़ें: पेशे से हैं गार्ड और 5000 से अधिक शहीदों के परिवार को लिख चुके हैं ख़त, देश के सपूतों को दिल में जिंदा रखते…
अब्दुला को है अपने बच्चों की चिंता
अब्दुला चाहते हैं कि उनके दोनों बच्चों को किसी को दे दिया जाए जिससे उनका लालन-पालन अच्छे से हो सके। उन्होंने जनता दरबार में कहा कि वह अपने बच्चों को माँ का प्यार नही दे पा रहे हैं। अब्दुला फल का ठेला लगाते हैं। आर्थिक स्थिति से कमजोड़ अब्दुला अपने काम के कारण भी बच्चों का देखभाल सही से नही कर पा रहे हैं। उन्हें उनके दोनों बच्चों के परवरिश की चिंता है, वह चाहकर भी बच्चों को एक माँ का प्यार नही दे पा रहे हैं।

प्रशासन ने नही की कोई मदद
अब्दुला अपने पत्नी के खोज के लिए पुलिस के भी पास गए पर उनकी यह फरियाद नाकाम साबित हुई। उन्हें प्रशासन के तरफ से कोई मदद नही मिला। उनके इस फरियाद को लेकर प्रशासन कभी गंभीर नही दिखा। अंत में उन्हें जनता दरबार का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। अब्दुल्ला कहते हैं कि उनके बच्चों को कोई संस्था अपना ले या किसी व्यक्ति को गोद दिला दिया जाए।

यह भी पढ़ें: छलांग लगाकर आसानी से पेड़ों पर चढ़ जाता है, जानवरों की भाषाएं बोलता है: लोग इसे असली ‘मोगली’ कहते हैं..
जनता दरबार ने अब्दुल्ला की फरियाद सुनी
जनता दरबार में अब्दुल्ला के फरियाद को गंभीरता से लेते हुए जमात के सचिव फरमान हसन खान ने कहा कि अब्दुल्ला की मदद जरूर की जाएगी। उन्होंने उनके पत्नी के खोजबीन को लेकर फतेहगंज के इंस्पेक्टर को फ़ोन भी किया पर उनकी बात नही हो पाई। दरगाह पर हर गुरुवार के दिन जनता दरबार लगाया जाता है जहां जनता के परेशनियों के निदान की हर संभव मदद की जाती है। जनता दरबार के अधिकारियों का कहना है कि अब्दुल्ला के भी समस्या का समाधान जल्द होगा।

खुद भूखे रहकर बच्चों की परवरिश
अब्दुल्ला फल बेचकर बच्चों की परवरिश कर रहे हैं। वह खुद भूखे रह जाते है पर अपने दोनों बच्चों को खिलाना नही भूलते। उन्हें अपने बच्चों के परवरिश की काफी चिंता सता रही है। आर्थिक स्थिति से कमजोड़ अब्दुल्ला फल बेचकर जो भी कमाते है उससे वह दो वक्त की रोटी भी नही जुटा पा रहे हैं। आशा है कि अब्दुल्ला की स्थिति पर तरस खाकर उनके इस फरियाद को जल्द ही कोई सुनेगा।