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Wednesday, May 31, 2023

माँ ने दी बेटी को प्यार करने की सजा, 25 सालों तक अंधेरे कमरे में किया कैद

हमारे समाज में आज भी प्रेम को एक गुनाह के रूप में देखा जाता है। कई लोग समाज के डर से अपने प्रेम को छुपा लेते हैं। सोशल मीडिया पर प्रेम से जुड़ी तरह-तरह की खबरें वायरल होती रहती हैं। आज हम आपको एक फ्रांसीसी लड़की के बारे में बताएंगे जिसे किसी से प्यार करने की जुर्म में उसकी मां और भाई ने मिलकर अपने ही घर में उसे 25 सालों तक कैद करके रखा। जब पुलिस को इस बात का पता चला तो पुलिस ने उसके घर पर छापा मारा जिसके बाद लड़की की हालत देखकर हर किसी की रुह कांप उठी। आइए जानते हैं इस पूरे खबर के बारे में।

अपनी ही बेटी को कैद किया

यह घटना साल 1876 की है जब एक फ्रांसीसी लड़की मैडेमोसेले ब्लैंच मोनियर (Mademoiselle Blanche Monnier) को उसकी मां मैडम लुईस मोनियर (Madame Louise Monnier) ने अपने बेटे के साथ मिलकर अपनी ही बेटी को 25 वर्षों के लिए अंधेरी कोठरी मे कैद कर दिया था। उस लड़की का गुनाह यह था कि उसने किसी से प्रेम किया था और उससे शादी करना चाहती थी। मगर उसके परिवार वालों को यह मंजूर नहीं था।

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मां ने फैलाया था अफ़वाह

कमरे में बंद होने के बाद ब्लैंच मदद के लिए चिल्लाती थी। उसके पड़ोसी उसकी चीख सुनते थे और वह भी ब्लैंच के कमरे में कैद होने की बात जानते थे मगर उसे अनसुना कर देते थे। हालांकि, ब्लैंच के परिवार के लोगों ने उसके पागल होने की अफवाह फैला दी थी इसलिए उसकी चीखों पर भी लोग ध्यान नहीं देते थे।

कमरे में नहीं पहुंचती थी रौशनी

ब्लैंच को जिस कमरे में कैद किया गया था वहां रोशनी की एक भी किरण नहीं जाती थी। जानवरों की तरह बाहर से खाना-पीना उसके कमरे में फेंक कर दिया जाता था ना ही उसके शरीर पर कोई कपड़ा था और ना ही कभी उसे नहलाया जाता था। वह अपना खाना-पीना, पेशाब, शौच आदि अपने कमरे के अंदर ही करती थी। ऐसे में उसका पूरा कमरा कीड़े मकोड़े और गंदगी से भर गया था। ब्लैंच पूरी तरह कमजोर हो चुकी थी और गंदगी के बीच पड़ी रहती थी। कभी भी उसके कमरे की सफाई नहीं की जाती थी। पूरा कमरा कीड़े-मकोड़े का अड्डा बन चुका था।

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पत्र लिख कर पुलिस को बताया

वर्ष 1901 में किसी व्यक्ति ने एक पत्र लिखकर पुलिस को ब्लैंच की कैद होने की ख़बर दी। जैसे ही खत पुलिस को मिला पुलिस ने तुरंत एक्शन (Action) लिया और मैडम लुईस मोनियर के घर पर छापा मारा और पुलिस जब ब्लैंच के कमरे में गई तो वहां इतनी गंदगी और बदबू थी कि वहां खड़ा होना भी मुश्किल था।

ब्लैंच के कमरे में सांस लेना भी मुश्किल

अंधेरे कमरे में एक कमजोर महिला, बिना कपड़ों के सिर्फ उसके शरीर पर एक गंदा कंबल पड़ा हुआ था जिस पर कीड़े-मकोड़े पूरी तरह से लगे हुए थे। चारों ओर मल, मूत्र सरी गली सब्जियां, मछली, सड़ी हुई रोटियां, मांस के टुकड़े, कीड़े-मकोड़े और चूहे कमरे की हालत इतनी खराब थी कि लगता था वर्षों से किसी ने उस कमरे की सफाई नहीं किया हो। वहां इतनी बदबू थी कि सांस लेना भी कठिन था। ऐसे में तुरंत उस कमरे की खिड़की को तोड़ा गया ब्लैंच को कपड़े पहनाए गए।

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25 वर्षो में बोलना भूल चुकी थी ब्लैंच

ब्लैंच पिछले 25 वर्षों से रोशनी के संपर्क में नहीं थी जिसके कारण उन्हें अस्पताल (Hospital) ले जाते समय उसे पूरी तरह से कवर करके ढक कर ले जाया गया। इतने सालों में वह बोलना भी भूल चुकी थी। अस्पताल में बहुत दिनों तक उसका इलाज चला, फिर वह बहुत मुश्किलों से छोटे-छोटे वाक्यों (Sentence) को बोलना सीखी।

गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद मां की मृत्यु

इस जुर्म में जब उसकी मां मैडम लुईस मोनीयार को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया, तब वह बेहद बूढ़ी हो चुकी थी और गिरफ्तारी के 15 दिनों में ही उसकी मृत्यु हो गई। भाई को भी बरी कर दिया गया। इस घटना के बारे में ब्लैंच के भाई ने बताया कि उसकी मां ही घर का सब कुछ देखती थी। वह अपनी बहन ब्लैंच को सुविधा देना चाहता था मगर उसकी मां के आगे उसका कुछ नहीं चलता था।

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बहन के साथ नाइंसाफी नही किया

कोर्ट (Court) में भी उसने कहा कि उसने अपनी बहन के खिलाफ कभी कोई नाइंसाफी नहीं किया इसलिए कोर्ट ने भी उसकी अपील को स्वीकार करते हुए उसे 15 महीने की सजा सुनाकर बरी कर दिया। 1901 में ब्रांच को नया जीवन मिला था लेकिन वह ज्यादा दिन नहीं जी पाई और 1913 में उसकी मृत्यु हो गई।

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Shubham Jha
Shubham Jha
शुभम झा (Shubham Jha)एक पत्रकार (Journalist) हैं। भारत में पत्रकारिता के क्षेत्र में बदलाव लाने की ख्वाहिश रखते हैं। वह चाहते हैं कि पत्रकारिता स्वच्छ और निष्पक्ष रूप से किया जाए। शुभम ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से पढ़ाई की है। वह अपने लेखनी के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करते हैं।

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