अक्सर लोग शरीर से चुस्त दुरुस्त होते हुए भी अपनी जिम्मेदारियों से दूर भागते हैं लेकिन कुछ लोग लाचार होते हुए भी अपनी हिम्मत नहीं हारते। आज हम आपको एक ऐसे ही सूरज (Suraj) नाम के लड़के के बारे में बताएंगे जो शारीरिक रूप से अपंग होते हुए भी पढ़ कर अपने जिंदगी में आगे बढ़ना चाहते है।
बचपन मे ही उठ गया पिता का साया
सूरज (Suraj) जमुई (Jamui) के फतेहपुर (Fatehpur) पंचायत नगर गांव का रहने वाला है। सूरज का एक पैर और एक हाथ पोलियो के कारण खराब हो चुका है। सूरज की उम्र अभी 17 वर्ष है और उनके पिता भुनेश्वर यादव (Bhubaneswar Yadav) की मौत 4 साल पहले पैरालाइसिस (Paralysis) के तीसरे अटैक आने के बाद हो गई थी। सूरज के परिवार में एक उनका बड़ा भाई और दो छोटी बहन और उनकी मां है। पिता की मौत के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारियां उनकी मां पर आ गई। लाख मुसीबतों के बाद भी सूरज की मां अपने बच्चे को शिक्षित करना चाहती है।

शिक्षक बनना चाहते हैं सूरज
अपनी शारीरिक कमजोरी को नजर अंदाज करते हुए सूरज पढ़ना चाहते है। उनकी मां ने उनका नामांकन गांव से दूर लछुआड़ के पालो सिंह प्लस टू हाई स्कूल में करवा दिया है। सूरज पढ़ने लिखने में काफी तेज है और वह अपनी पढ़ाई पूरी मेहनत और लगन के साथ करते है। उनके घर से स्कूल की दूरी तकरीबन 3 किलोमीटर है फिर भी वह एक पैर से उछल-उछल कर या फिर किसी साथी की मदद से प्रतिदिन स्कूल जाते है।

पो’लियो के कारण हाथ और पैर सूख गए
एक हाथ और एक पैर न होने के बावजूद भी सूरज के हौसले बुलंद है और उन्होंने अपने बगल के गांव के खुटखट मिडिल स्कूल में 8वीं तक की पढ़ाई एक पैर से ही जैसे तैसे उछल कर पूरी की। दरअसल पो’लियो के कारण बचपन में उनका दाया हाथ और दाया पैर सूख गया था। फिर भी वह अपने सारे काम बाए हाथ और बाएं पैर से करते हैं। उन्होंने कभी भी अपनी कमजोरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।

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शिक्षक करते है तारीफ
पंचायत के मुखिया भूषण यादव (Bhushan Yadav) और सूरज के स्कूल के शिक्षक वीरेंद्र मिश्र जी (Virendra Mishra) सूरज की तारीफ करते हुए कहे कि सूरज शारीरिक रूप से दिव्यांग होते हुए भी पढ़ाई लिखाई के प्रति लगन शील है। वह अपने बाएं हाथ से भी अच्छी तरह लिख सकते है। वह एक होनहार छात्र है और आगे जाकर कुछ अच्छा ही करेंगे।