अपने संतान के लिए हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनका संतान अपने जीवन में सफलता हासिल करें। समाज में कुछ करके दिखाए माता-पिता का नाम रौशन करे और जब किसी का सपना पूरा होता है तो सबसे अधिक खुश होते हैं माता-पिता।
आज हम आपको उत्तरप्रदेश के IAS अफसर गोविन्द जायसवाल (Govind Jaiswal) के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर अपने माता-पिता का नाम रौशन किया। आइये जानते हैं उनके बारे में।
गोविंद जायसवाल का परिचय
गोविन्द जायसवाल उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) के वाराणसी (Varanasi) के रहने वाले हैं, और उनके पिता एक रिक्शा चालक थे। गोविन्द का घर चलाने के लिए उनके पिता एक मात्र सहारा थे। एक बार गोविंद के दोस्त के पिता ने गोविंद को इसलिए घर से बाहर निकाल दिया था क्योंकि उनके पिता एक रिक्शा चालक थे।
आईएएस बनने की ठानी
जब यह घटना हुई तो गोविन्द की उम्र महज 11 साल की थी। छोटी उम्र में गोविन्द इन बातों को समझ न सके। फिर एक दिन गोविन्द ने ये सारी बातें एक वरिष्ठ व्यक्ति के साथ सांझा किया। फिर उन्होंने समझाया कि तुम्हारा बैकग्राउंड कमजोर है, इसलिए उन्होंने तुमसे ऐसा कहा। साथ ही उस व्यक्ति ने कहा जब तुम IAS बन जाओगे तब तुम्हारे घर का बैकग्राउंड (Background) भी मजबूत हो जायेगा। तभी गोविन्द ने मन ही मन IAS बनने की ठान ली।
खूब पढ़ते थे गोविंद
गोविन्द ने वाराणसी से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की, तथा सरकारी स्कूल (Government School) से मैथ्स (Maths) में ग्रेजुएशन (Graduation) किया। मगर ग्रेजुएशन की तैयारी के दौरान 14-14 घंटे तक लाइट गायब रहती थी। इसके अलावा पडोसी वाले जनरेटर चलाते थे, जिसकी वजह से काफी ज्यादा शोर होता था। ऐसे में पढ़ाई करने के दौरान किसी प्रकार की रूकावट न हो, गोविन्द अपने कानों में रूई डालकर पढ़ाई करते थे।
आईएएस की तैयारी में जुटे
ग्रेजुएशन में अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद गोविन्द IAS की तैयारी में जुट गये। गोविन्द 2005 में तैयारी के लिए दिल्ली (Delhi) चले गए। ऐसे में गोविंद की पढ़ाई के लिए उनके पिता ने अपनी पुश्तैनी जमीन 30,000 रुपए में बेच दी थी। गोविंद ने सोच लिया था कि एक दिन लोगों को इसी रिक्शेवाले के बेटे पर गर्व होगा।
गोविंद ने सफलता हासिल की
साल 2006 में गोविंद ने पहली बार IAS की परीक्षा दी। अपने पहले ही प्रयास में गोविंद जायसवाल ने IAS परीक्षा में 48 वां रैंक हासिल किया। गोविन्द को अपने रिजल्ट देखने के बाद खुशी का ठिकाना न रहा, गोविन्द हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे कि इस खुशखबरी को अपने पिता तक कैसे पहुचाये। फिलहाल गोविंद ईस्ट दिल्ली एरिया के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (District Magistrate) हैं।
आज उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। वैदिक ज्ञान भी उनकी सराहना करता है।
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