क’रोना महामारी में लगे लॉकडाउन ने लोगो के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था। इस महामारी के चलते सबसे अधिक हानि उन बच्चों को हुई जो मोबाइल और लैपटॉप न होने की वजह से अपना ऑनलाइन क्लास अटेंड नहीं कर पाए थे।
इन सभी चीजों के बीच कुछ समाजसेवा का भाव रखने वाले लोग बच्चों की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए आगे आए। आज हम आपको शिक्षक दीप नारायण नायक के बारे में बताएंगे जिन्होंने क’रोना महामारी के दौरान जरूरतमंद बच्चों को सड़क पर ही पढ़ाते थे। आइए जानते हैं दीप नारायण जी के इस नेक कार्य के बारे में।
सड़क पर कक्षा का संचालन
क’रोना महामारी के चलते सभी का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। क’रोना संक्रमण से बचने के लिए सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था जिसके चलते सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चों का पढ़ाई हुआ। लॉकडाउन (Lockdown) लगने की वजह से सभी स्कूल कॉलेज ने ऑनलाइन मध्यम से पढ़ाना शुरू कर दिया था जिसके चलते बहुत से बच्चे स्मार्टफोन न होने की वजह से ऑनलाइन क्लास (Online Class) अटेंड नहीं कर पाए रहे थे इसी बीच 34 वर्षीय शिक्षक दीप नारायण ने तमाम घरों के दीवाल पर ब्लैकबोर्ड पेंट करने का काम किया था और जो बच्चे झुग्गी, झोपड़ी में रहते थे नारायण उनको सड़क पर ही पढ़ाने का कार्य करते है।

लोगों ने की जमकर तारीफ
शिक्षक दीप नारायण पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पश्चिम वर्धमान (West Vardhaman) जिले के रहने वाले हैं। नारायण के इस कार्य का सोशल मीडिया (Social Media) पर जम कर तारीफ़ हो रही है। मीडिया रिपोर्टर्स के मुताबिक छात्रों के परिजन बताते है कि मोबाइल (Mobile) एवम् लैपटॉप (Laptop) न होने की वजह से उनके बच्चे ऑनलाइन क्लास अटेंड (Attend) नहीं कर पाते थे जिसके वजह से वह इधर-उधर घूम कर अपना पूरा समय बिता देते थे लेकिन नारायण के आ जाने से वहां सब कुछ बदल गया। उनके बच्चे पढ़ने लगे।

“सड़क वाले शिक्षक” नाम से प्रसिद्ध
नारायण बच्चों को नर्सरी (Nursery) की कविता से लेकर मास्क (Mask) कैसे पहना जाता है और हाथ धोने के महत्व भी सिखाते हैं। नारायण को उनके क्षेत्र के लोग “सड़क वाले शिक्षक” के नाम से बुलाते हैं। यह उनके नेक कार्य का परिणाम है। दीप नारायण गरीब बच्चों के लिए सड़क पर ही अपने क्लास का संचालन करते हैं।

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सब पढ़े सब आगे बढ़े, चाहते हैं नारायण
दीप नारायण न्यूज एजेंसी (News Agency) से बात करने के दौरान बताते है कि जो बच्चे उनके पास पढ़ने आते हैं उनमें से बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो पहली बार अपने परिवार में पढ़ रहे हैं इसीलिए उनको हमेशा यह चिंता लगी रहती है कि अगर वह नहीं पढ़ेंगे तो वह पढ़ाई से बेहद दूर हो जाएंगे और इस वजह से उनके परिवार के साथ इसका नुकसान समाज और देश को भी उठाना पड़ेगा। इसीलिए वह चाहते हैं कि गरीब का बच्चा भी पढ़ लिख कर नाम कमाए और हमारे समाज के साथ-साथ देश का भी भला हो।

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