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Friday, September 29, 2023

स्तन ढंकने का अधिकार नहीं मिलने पर नंगेली ने अपने ही हाथों काट लिया अपना स्तन: स्वाभिमान के लिए दी जान

हम प्राचीन काल से ही औरतों को करुणा की देवी, प्यार का सागर, आदिशक्ति आदि नामों से पूजते आए हैं।

पर एक समय ऐसा था जब लोग नारी पर किए गए शोषण और अत्याचारों के प्रति आवाज़ नही उठा पाते थे। समाज में औरतों को बराबरी का हक भी नही था। आज हम आपको केरल की रहनेवाली नंगेली की कहानी बताएंगे जिन्होंने अपने साहस से एक ऐसे प्रथा को समाप्त किया जो एक स्त्री के लिए बुरा सपना के समान था। आइये जानते हैं स्त्रियों के सम्मान के लिए दिए गए उनके इस कुर्बानी के बारे में।

नंगेली का परिचय

नंगेली एड़वा समुदाय की महिला थी। वो त्रावणकोर के चेरथला में रहती थी। नंगेली की शादी चीरूकन्दन नाम के एक पुरुष के साथ हुई थी। उनके राज्य के राजा का आदेश था कि उनके राज्य में कोई भी निम्न जाति की स्त्रियां अपने स्तनों को न ढकें। नांगेली ने राजा का आदेश न मानते हुये अपनी छाती ढकना शुरू किया था और महिलाओं के सम्मान के लिए खड़ी हुईं।

चुकाना पड़ता था कर

केरल में इस प्रथा की शुरुआत 19वीं शताब्दी में हुई थी। अगर कोई महिला कपड़े से स्तन ढकती थी तो उसे और उसके परिवार को कर चुकाना पड़ता था। निचली जाति की महिलाओं को इस नियम के अनुसार राजा ने कर देने का प्रावधान बनाया था। उल्लंघन करने पर उन्हें ‘ब्रेस्ट टैक्स’ यानी ‘स्तन कर’ देना पड़ता था। उस समय केरल के बड़े भाग में ट्रैवनकोर के राजा का शासन था।

औरतों के लिए यह बुरा सपना

राजा के द्वारा लगाए गया यह नियम वहां की महिलाओं के लिए किसी बुरे सपने से कम नही था। नंगेली राजा के इस नियम को नही मानती थीं। वह राजा के नियम के विरोध में अपने स्तनों को ढके हुए रहती थीं। नंगेली ने राजा के इस अमानवीय टैक्स का खुलेआम विरोध भी किया। उन्होंने इसके लिए किसी भी प्रकार का टैक्स भी नहीं दिया।

राजा के अधिकारियों को खबर मिली

समुदाय की अन्य महिलाएं जानती थी कि नंगेली को इसके लिए सज़ा मिलेगी। राजा के अधिकारियों को नंगेली के इस विरोध के बारे में जब सूचना मिली तो वह उनके घर पहुंचे और नंगेली को स्तन न ढकने को कहा और स्तन कर मांगा। नंगेली ने उनकी बातों को नही माना। अधिकारियों ने जबरदस्ती उनके छाती से उनके कपड़े हटा दिए।

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अपमान होने पर स्तन काटे

नंगेली अपने इस अपमान को सह न सकी और तुरंत उन्होंने हंसिये से अपने एक स्तन को काट डाला। स्तन के कटने से उनकी हालत खराब हो गई और ज्यादा खून बह जाने के कारण उनकी मौत हो गई। उनके पति ने भी उनके जलती चिता में अपनी जान दे दी। उनके इस बलिदान के बाद वहां के लोग इस नियम का विरोध करने लगे। राज्य में हो रहे प्रदर्शन के कारण राजा को इस नियम को पूरी तरह खत्म करना पड़ा। नंगेली के कारण ही वहां की महिलाओं को इस घिनौने नियम से आजादी मिली।

नंगेली के इस कुर्बानी को कभी नही भुलाया जा सकता है। औरतों के सम्मान के लिए उनकी यह कुर्बानी लोगों के लिए एक मिसाल है।

Shubham Jha
Shubham Jha
शुभम झा (Shubham Jha)एक पत्रकार (Journalist) हैं। भारत में पत्रकारिता के क्षेत्र में बदलाव लाने की ख्वाहिश रखते हैं। वह चाहते हैं कि पत्रकारिता स्वच्छ और निष्पक्ष रूप से किया जाए। शुभम ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से पढ़ाई की है। वह अपने लेखनी के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करते हैं।

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