बढ़ती गर्मी के कारण इंसान की तरह पशु पक्षी भी परेशान हैं। अधिक धूप के वजह से जंगलों में पानी की कमी हो रही हैं। नदी-नाले सुख रहे है जिसके वजह से पशु-पक्षी को पानी के लिए जंगल में भटकना पड़ता हैं। आज हम आपको एक बुजुर्ग महिला ‘रानी’ (Rani) के बारे में बताएंगे जो अपना घर परिवार छोड़ कर जंगल में कुटिया बनाकर जानवरों के साथ रहती है और जानवरों के खाने-पीने का ध्यान भी रखती है। आइये जानते हैं उनके बारे में।
बढ़ती गर्मी से जानवर भी है परेशान
बढ़ती गर्मी और कड़ी धूप के वजह से जंगलों में नदी-नाले सुख रहे हैं जिसके वजह से जंगल में रहने वाले पशु-पक्षियों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। जंगल में रहने वाले पशु- पक्षियों का ध्यान रखने के लिए बांदा (Banda) में कटरा (Katra) की रहने वाली 60 वर्षीय बुजुर्ग महिला रानी (Rani) उर्फ कुशमा (Kushma) एक सराहनीय काम को अंजाम दे रही है।

जानवरों की सेवा कर रही बुजुर्ग महिला
रानी अपना घर परिवार छोड़ कर पशु-पक्षियों की देखभाल एवं सेवा करने के लिए जंगल में कुटिया बनाकर रहती हैं। रानी ने अपना कुटिया कई सालों से बागै नदी के करीब देवी स्थान के पास बनाया है। आज के युग में जहां एक इंसान दूसरे इंसान के बारे में नहीं सोचता, ऐसे में बुजुर्ग रानी बेजुबान जानवरों के लिए झोपड़ी में रह कर उनका सेवा कर रही हैं।
घर छोड़ कर जंगल में रहना
इस भीषण गर्मी में जहां खुद को राहत पहुंचाने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करने में लगे हैं, वहां रानी जानवरों की खूब सेवा कर रही हैं। रानी का मानना है कि यूपी और एमपी के जंगलों में बसे बंदरों का जीवन पानी की कमी से संकट में ना पड़ जाए इसीलिए वह अपना घर छोड़कर जंगल में उनकी सेवा करने के लिए रह रही है।

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जब तक जिंदा रहेगी, तब तक करेंगी सेवा
रानी की यह कहानी सुनकर हर कोई उनकी तारीफ़ कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स (Media Reporters) के मुताबिक रानी पिछले 8 सालों से इस जंगल में रह कर बंदरों की सेवा कर रही हैं। रानी कहती है कि जब तक वह जिंदा रहेगी, वह इस काम को करती रहेंगी। रानी के परिवार के बाकी सदस्य कटरा (Katra) के कालिंजर (Kalinjar) क्षेत्र में रहते हैं। रानी से मिलने उसके परिवार के बाकी सदस्य जंगल में आया करते हैं।
गांव वाले भी करते है मदद
रानी के इस नेक काम में गांव के लोग भी मदद करते हैं। गांव के बाकी लोग जीव जंतुओं को खाने के लिए सामान रानी को पहुंचा जाते हैं। रानी के साथ वहां रहने वाले बंदर भी खूब घुल मिल गए हैं। बंदर ज्यादातर रानी के आस-पास ही रहते हैं। जंगल में रानी के पास करीब 2 बीघा खेत है। जब रानी अपने खेत के दौड़े पड़ जाती है तो बंदर भी उसके पीछे-पीछे जाते हैं। रानी इन बंदरों का नाम भी रखी है। जब रानी बंदरों को हैंडपंप पर पानी पिलाने ले जाया करती है तो वह पप्पू, मुन्नू, चुन्नू और कालू आदि नामों से पुकारा करती है। जिसको सुनकर बंदर रानी के पास भागे-भागे आते हैं।

वैदिक ज्ञान भी रानी के इस काम की सराहना करता है। अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।