एक वक्त था जब हर महिला घूंघट में और घर की चारदीवारी में कैद थी। लेकिन आज जमाना बदल चुका है। आज महिलाएं चारदीवारी के बाहर पांव रखकर खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं। आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने पाँच दिन में दो बार एवरेस्ट फतह किया। आइये जानते हैं इनकी प्रेरणादायक कहानी।

पद्मश्री अंशु जामसेनपा का परिचय।
अंशु अरुणाचल प्रदेश के बोमडिला की रहने वाली हैं। स्कूली शिक्षा के दौरान ही उनकी शादी कर दी गई थी। अंशु का बस एक ही शौक था- ‘पर्वतारोहण’। उन्होंने इसके लिए अपनी पुश्तैनी जमीन भी बेच डाली। उन्होंने अपने सपने को सिर्फ एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार पूरा किया और दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराते हुए वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया।

कैम्प के दौरान पहाड़ पे चढ़ने की इच्छा हुई।
अंशु जब स्कूल में पढ़ रही थी, तभी उनकी शादी कर दी गई थी। फिर उनकी दो बेटियां भी हो गईं। इसी बीच साल 2008 में उनके यहां एक कैंप लगा था, जिसमें कई माउंटेनियर आए थे। अंशु भी कैंप में शामिल हुई। उन्होंने कई क्रियाकलापों में भाग लिया। वहां आए माउंटेनियर्स ने उनकी फिटनेस और एक्टिविटी को देखते हुए उनसे कहा कि आपको भी माउंटेनियरिंग में आना चाहिए। तभी अंशु को भी लगा कि वह पहाड़ पर चढ़ाई कर सकती हैं ।

बेटियों से खुद से दूर रखा।
अंशु ने निर्णय लिया कि उन्हें पर्वतारोही बनना है। उस समय अंशु की दोनों बेटियां छोटी थीं। अंशु के पति 49 देशों की यात्रा कर चुके हैं। वो अक्सर बाहर ही होते थे। ऐसे में बेटियों को संभालने की पूरी जिम्मेदारी अंशु के ऊपर थी। उन्होंने दोनों बेटियों को बोर्डिंग स्कूल भेज दिया ताकि उनकी पढ़ाई अच्छी तरह से हो सके। हालांकि ये फैसला उनके पति का था और अंशु इसके खिलाफ थी। वह बेटियों को खुद से दूर नहीं रख पा रही थी, लेकिन उन्होंने अपने सपने को पाने के लिए मजबूरन उन्होंने यह काम किया।

जमीन भी बेचनी पड़ी।
2009 में अंशु ने माउंटेनियरिंग की प्रोफेशनल ट्रेनिंग शुरू कर दी। पहले बेसिक कोर्स किया। फिर एडवांस कोर्स किया। 2011 में उनकी पहली समिट थी। तब पैसों की दिक्कत खड़ी हो गई। कम से कम 25 लाख रुपए चाहिए थे। कुछ मदद तो सरकार से मिल गई, लेकिन बाकी पैसे खुद ही जुटाने थे। फिर अंशु ने अपनी पुश्तैनी जमीन बेच दी। आखिर पहली कोशिश में उन्होंने एवरेस्ट फतह कर लिया ।

अंशु ने रचा इतिहास।
अंशु ने 2011 में दो बार, 2013 में एक बार और 2017 में फिर दो बार एवरेस्ट फतह किया ।आश्चर्य की बात है कि अंशु ने 2017 में महज 5 दिन के समय में ही दो बार एवरेस्ट पे चढ़ाई की। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उन्हें तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार 2017 प्रस्तुत किया। 25 सितंबर 2018 को नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में एडवेंचर के लिए अंशु को भारत का सर्वोच्च साहसिक पुरस्कार प्रदान किया गया। अभी हाल ही में अंशु को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है।