एक नारी उपयोगी परिश्रम करके देश की प्रगति में योगदान तो देती ही है। साथ ही साथ परिवार की आर्थिक समृद्धि भी बढ़ाती है।
परिवार को सही ढंग से संभालना एक स्त्री के अलावा कोई नही जान सकता। चाहे परिस्थिति कोई भी हो एक नारी हमेशा अपने परिवार के साथ खड़ी रहती है। आज हम आपको बिहार के एक ऐसी ही महिला के बारे में बताएंगे जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए मर्दो के बाल और दाढ़ी बनाती है। आइये जानते है इस महिला के बारे में।
सुखचैन देवी का परिचय
35 साल की सुखचैन देवी जो कि बिहार के सीतामढ़ी जिले के बाजपट्टी क्षेत्र में स्थित बसौल गांव के बररी फुलवरिया पंचायत की निवासी हैं। इनके पति का नाम रमेश है जो कि चंडीगढ़ में बिजली मिस्त्री का काम करते हैं।
सुखचैन देवी की शादी 16 साल पहले रमेश से पटदौरा गांव में हुई थी। सुखचैन देवी के पिता के मौत के बाद उनकी माँ और अपने बेटे-बेटियों की जिम्मेदारी भी सुखचैन पर आ गई। उन्होंने इसके लिए मर्दो के दाढ़ी और बाल बनाने का सोचा।

मायके में दाढ़ी और बाल बनाने लगीं सुखचैन
आर्थिक तंगी के कारण सुखचैन देवी ने मर्दो के दाढ़ी और बाल बनाने लगी। चूंकि वह अपने मायके में रहती थी तो उन्हें इस काम को करने में तनिक भी संकोच का एहसास नही हुआ। वह इस काम को करके अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं। उनके पति इतना नही कमा पाते हैं जिससे उनके परिवार का पेट भर सके। इसी मजबूरी में अब सुखचैन देवी बाल और दाढ़ी बनाकर अपना और अपने परिवार का गुजारा कर रही हैं।

गांव में घूम-घूम कर करती है काम
सुखचैन देवी बिना किसी संकोच के गांव में घूम-घूम कर मर्दो के दाढ़ी और बाल बनाती हैं। वह सुबह-सुबह अपने काम की सारी चीजें लेकर निकल जाती हैं। शुरुआत में लोग इनसे दाढ़ी और बाल बनवाने में हिचकते थे। पर सुखचैन देवी मायके में होने के कारण कुछ लोगों का दाढ़ी और बाल बनाने लगी। धीरे-धीरे गाँव के और भी लोग इनसे बाल और दाढ़ी बनवाने लगे। अब यह काम सुखचैन बड़े निर्भीकता पूर्वक कर रही हैं।

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बच्चों को पढा के अच्छा इंसान बनाना चाहती हैं सुखचैन
सुखचैन देवी अपने बच्चों को पढाकर एक सफल इंसान बनाना चाहती हैं। इसके लिए वो दिन-रात मेहनत करती हैं। वो शादियों में भी लोगों के यहाँ जाकर बाल और दाढ़ी बनाने का काम करती हैं। उनका कहना है अगर उन्हें ट्रेनिंग मिले तो वह भविष्य में वो एक ब्यूटी पार्लर खोलना चाहती हैं।
आज सुखचैन देवी अपने कर्तव्यों से बखूबी एक माँ और बेटी होने का फर्ज निभा रही हैं। इतने खराब परिस्थिति में वो अपने कर्तव्य से कभी नही डगमगाई। उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है।