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Wednesday, May 31, 2023

पढ़ने के लिये डांट पड़ी तो छोड़ दिया था घर, 14 सालों बाद लौटा करोड़पति बनकर

मां-बेटे का रिश्ता बहुत ही प्यारा और खास होता है। बेटा चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए, वो मां के लिए हमेशा बच्चा ही रहता है। अगर एक माँ से उसका बेटा दूर हो जाए तो माँ की स्थिति एक माँ ही जान सकती है। आज हम एक घटना से आपलोगों को रूबरू करवाएंगे जिसमे एक लड़का बचपन में अपने माता-पिता की डाट सुनने के बाद घर छोड़ कर चला गया। सालों बाद वापस लौटा घर। आइये जानते इस घटना के बारे में।

बचपन में माता-पिता के डांटने पर छोड़ दिया घर

हरदोई के सांडी थाना इलाके के सैतियापुर गांव के मजरा फिरोजापुर के रिंकू उर्फ गुरप्रीत सिंह ने लगभग 14 साल पहले 2007 में उसके पिता ने पढ़ाई को लेकर उन्हें डांट दिया था। पिता की डांट की वजह से रिंकू घर छोड़ कर चले गए। बेटे के लापता होने के बाद पिता ने उन्हें हर जगह तलाशा पर उनका कहीं कुछ पता नहीं चल सका। आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता अपने बेटे के न मिलने पर उसके साथ कुछ अनहोनी मानकर चुप-चाप शांत बैठ गए। लेकिन एक रात 14 साल बाद बाद वापस रिंकू अपने गांव वापस आए। अपने बेटे को देखकर माता-पिता अत्यंत खुश हुए।

रिंकू से गुरप्रीत सिंह बने।

12 साल की उम्र में घर से निकलने के बाद रिंकू किसी ट्रेन में बैठकर लुधियाना पहुंच गए। जहां उन्हें एक सरदार ने शरण दी और अपनी ट्रांसपोर्ट कंपनी में उन्हें काम भी दिया। उसी ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते करते रिंकू ने ट्रक चलाना सीखा और ट्रक चलाते- चलाते वह खुद ट्रक का मालिक बन गए। अपनी मेहनत और लगन की बदौलत अपना ट्रक और लग्जरी कार भी खरीद ली। यही नहीं पंजाब में रहने के दौरान उनकी पहचान भी बदल गई और वह रिंकू से गुरप्रीत सिंह बन गए।

अचानक गांव की आई याद

रिंकू उर्फ गुरप्रीत की इतने सालों बाद अपने घर की याद आने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। उनका एक ट्रक का धनबाद में एक्सीडेंट हो गया था। जिसे छुड़ाने के लिए रिंकू उर्फ गुरुप्रीत अपनी लग्जरी कार से धनबाद जा रहे थे। रास्ते में जब वह हरदोई पहुंचे तो उन्हें अपने गांव और परिवार की याद आई और वो सीधा धनबाद न जाकर हरदोई के गांव के पास पहुंच गए। लेकिन उन्हें अपने पिता का नाम याद नहीं था पर गांव के एक बुजुर्ग व्यक्ति सूरत यादव का नाम उन्हें ध्यान था।

सूरत यादव ने घर पहुँचाया

रिंकू ने लोगों से सूरत यादव के घर का पता पूछा और लोगों की मदद से वहां पहुंच गए। सूरत यादव ने उन्हें रिंकू के रूप में पहचान लिया और फिर रिंकू को उसके माता-पिता के पास पहुंचा दिया। 14 साल के बाद अपने माता- पिता और परिवार के लोगों से मिलने के बाद रिंकू काफी खुश हुए और अब वो अपने परिवार के साथ ही रहना चाहते है।

रिंकू की माँ बेटे को पाकर है अत्यंत खुश

रिंकू की माँ का खुशी का तो ठिकाना नही है। वह अपने बेटे को पाकर बहुत खुश है। रिंकू भी अपने परिवार का अब देखभाल करना चाहते है और परिवार के साथ ही रहना चाहते है।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

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