हमारा देश एक विशाल राष्ट्र है। यहाँ विभिन्न धर्मों एवं सम्प्रदाय को मानने वाले लोग रहते हैं। अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की महान विशेषता है। यही सद्भावना एक भावनात्मक एकता की आधारशिला है। विभिन्न जातियों, समुदायों और धर्मो के बावजूद हमारा जनमानस एक ऐसी संस्कृति और एकता के सूत्र में बंधा है जो अपने आप में बेजोड़ है।
परिस्थिति विपरीत होने के बावजूद भी सफल होते हैं।
अगर बात करें हमारे देश के युवाओं की तो ऐसे भी प्रतिभावान हैं जो तमाम अभावों को झेलते हुए भी सर्वोत्तम सफलता हासिल करते हैं। चाहे सर से पिता का साया उठ जाए, चाहे खाने के लिए भोजन न हो, यानी चाहे जैसी भी परिस्थिति हो, फिर भी युवा IAS भी बन जाते हैं।

IAS शशांक मिश्रा हैं उनमे से एक
IAS शशांक मिश्रा जिन्होंने अपने जीवन में आर्थिक स्थिति ठीक न होते हुए भी, मुश्किल समय का सामना करते हुये अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया और कामयाबी के शिखर पर पहुँच गए।
पिता के देहांत के बाद हिम्मत से काम लिया

शशांक मिश्रा उत्तरप्रदेश के मेरठ के रहनेवाले हैं। शशांक 12वीं की पढ़ाई कर रहे थे तब साथ-साथ आईआईटी (IIT) की भी तैयारी करने लगे थे। उसी दौरान शशांक के जीवन में समय ने अपना करवट बदल लिया। शशांक के पिता जी का देहांत हो गया। इनके पिताजी कृषि विभाग में डिप्टी कमिश्नर के पद पर कार्यरत थे। सर से पिता का साया छिन जाने के बाद शशांक छोटी-सी उम्र में ही जिम्मेदारियों के बोझ तले दब गयें। पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी उनके कंधो पर आ गईं। शशांक के पास अपने पढ़ाई की फीस देने के लिये भी पैसे नहीं थे। फिर भी शशांक मिश्रा 12वीं में अच्छे नंबरों से पास हुयें। अच्छे नम्बरों से पास होने के कारण उनके कोचिंग की फीस को कम कर दिया गया जिससे पैसों की तंगी से थोड़ी राहत मिली।
मल्टी नेशनल कंपनी में मिली नौकरी को ठुकराया

शशांक अपनी कड़ी मेहनत से आईआईटी (IIT) की परीक्षा में भी सफल हुयें और 137वां रैंक हासिल किए। उसके बाद शशांक ने इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग से B.Tech किया। B.Tech करने के बाद शशांक की अमेरिका के मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी लग गई। शशांक को इस कंपनी में अच्छे पैकेज की सैलरी मिल रही थी लेकिन उन्होंने नौकरी करने से मना कर दिया।
संघर्षों से भरा था जीवन
शशांक का सपना था कि वह एक IAS बनें। इसलिये 2004 से ही UPSC की परीक्षा की तैयारी करने लगे। शशांक की आर्थिक परेशानी हटने का नाम नहीं ले रही थी। लेकिन शशांक ने ठान लिया था कि वह UPSC की परीक्षा में सफल होकर रहेंगें। पैसों की कमी के कारण शशांक ने दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में पढ़ाने का काम शुरु किया। कोचिंग की आमदनी बहुत अधिक नहीं थी। यहां तक की उनको दिल्ली में किराया का रुम लेकर रहने के लिये भी पैसे नहीं थे। शशांक प्रतिदिन मेरठ से दिल्ली का सफर तय करतें और ट्रेन में जो समय मिलता उसमें वह अपनी पढ़ाई करते। पैसों की कमी कुछ इस तरह थी कि रास्ते में भूख लगने पर भरपेट खाना खाने तक के लियें भी पैसे नहीं थे। तब वह बिस्किट खाकर अपना गुजारा करते थे। शशांक की जीवन में यह सब 2 साल तक ऐसे ही चलता रहा।

पहले प्रयास में ही पास की परीक्षा
शशांक ने UPSC की परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास कर लिया और उनका एलाइड सर्विस में चयन हो गया। दूसरे प्रयास में शशांक ने UPSC में 5वीं रैंक हासिल की। उनका चयन IAS के लिये हो हुआ।वर्तमान में शशांक मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में DM के पद पर कार्यरत हैं।
जिस मेहनत और संघर्ष के दम पर IAS शशांक ने ये सफ़लता हासिल की है, वो सच में काबिलेतारीफ है। हम उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।