भगवान अगर किसी के शरीर में कोई कमी देते हैं, तो उसके पीछे भी कोई बड़ा मकसद होता है। जरूरी नही है कि दिव्यांग लोग अपने जीवन में कुछ नही कर सकते लेकिन ये सोच गलत है।वह भी बहुत कुछ कर जाते हैं। जो दुनिया के लिए मिसाल बन जाती हैं। आज हम ऐसे ही व्यक्ति के बारे में जानेंगे जो जन्म से ही अंधे है।

तमिलनाडु चेन्नई के रहने वाले डी.बाला नगेंद्रन जो नेत्रहीन होते हुए भी आईपीएस की परीक्षा में सफल हुए। नागेंद्रन जन्म से ही अंधे थे। वे अंधे होने के बावजूद भी अपनी काबिलियत के दम पर आईपीएस बन कर दिखाएं। काबिलियत होना एक ऐसी शक्ति है जिसके दम पर इंसान किसी भी विकट परिस्थिति का सामना कर सकता है। बिना आंखों की जिंदगी कितनी दुःखद होती है, इसे महसूस किया जा सकता है।
डी.बाला नागेंद्रन के माता-पिता को हमेशा यह चिंता सताती थी की उनका बेटा देख नही सकता पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वह अपने बेटे को शिक्षित बनाना चाहते थे। नागेंद्र ने स्कूल की पढ़ाई रामा कृष्णा मिशन से पूरी की। नागेंद्रन चेन्नई के लोयला कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई पूरी की। उनको आईपीएस ऑफिसर बनने के लिए उनके शिक्षक ने प्रेरित किया। नागेंद्र अपने शिक्षक के कहने पर आईपीएस की तैयारी करने लगे लेकिन आगे उन्हें बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि वह देख नहीं सकते थे, वे नेत्रहीन थे।

नागेंद्र ने आईपीएल से जुड़ी हर किताब को बेल भाषा में परिवर्तित किया। नागेंद्र को 2011 से 2015 तक लगातार चार बार असफलता मिली। 2016 के परीक्षा में 927वां रैंक प्राप्त हुआ फिर भी उन्हें नौकरी मंजूर नहीं थी क्योंकि वह आईएएस अधिकारी बनना चाहते थे। लगातार प्रयास एवं मेहनत के बदौलत वे 2019 में 659वां स्थान प्राप्त कर, उन्हें आईएएस अधिकारी का पद मिल गया। नागेंद्र अपने अंधेपन को अपने लक्ष्य पर हावी नहीं होने दिये।

उन्होंने अपने हौसले को बुलंद रखा जिससे उन्हें सफलता की प्राप्ति हुई। इससे युवाओं की यही प्रेरणा मिलती है कि जरूरी नहीं है कि इंसान के अंदर हर तरह की काबिलियत मौजूद हो, हम विकलांग होकर भी अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं अगर हम अपने जीवन में कुछ करने का ठान लिए तो हमें कोई नहीं रोक सकता। अगर हौसले बुलंद हो तो हम कुछ भी कर सकते हैं।