उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने वरिष्ठ नागरिक रखरखाव कल्याण अधिनियम 2017 में बदलाव के लिए एक प्रस्ताव रखा, जिसके अंतर्गत वरिष्ठ नागरिक को यदि ऐसा लगता है कि उनके उत्तराधिकारी उनका सही रूप से ख्याल नहीं रख रहे हैं तो वह उनसे अपनी संपत्ति वापस ले सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है की बुजुर्ग द्वारा शिकायत दर्ज करने से उनका उत्तराधिकारी उनकी संपत्ति से बेदखल हो जाएगा। इस बदलाव के अनुसार यदि किसी बुजुर्ग व्यक्ति को ऐसा लगता है कि उनके कानूनी उत्तराधिकारी उनका सही ख्याल नहीं रख रहे हैं या उनका अनादर कर रहे हैं तो ऐसी परिस्थिति में वह किसी दूसरे को अपनी संपत्ति का वारिस बना सकते हैं जो उनका सही से ख्याल रखेगा। ऐसे में उनके उत्तराधिकारी को उनके संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा।

अनगिनत शिकायतें आ चुकी है
आपको बता दें कि देश में इस तरह की शिकायतें आना आम हो गई है जिसमें की माता-पिता यह शिकायत करते हैं कि उनके बच्चे उनका सही ढंग से ख्याल नहीं रख रहे हैं। कई बार यह देखा गया है कि बेटे अपनी पत्नी की बातों में आकर अपने बुजुर्ग मां-बाप को घर से निकाल देते हैं। आसरा नहीं मिलने के कारण वह बुजुर्ग वृद्ध आश्रम या किसी मंदिर का सहारा लेने पर विवश हो जाते हैं। लेकिन अभी भी इस तरह की कानून का अभाव है जिसमें ऐसी परिस्थिति में ऐसे नालायक बच्चों को संपत्ति से बेदखल किया जा सके।

दी हुई जमीन भी वापस ले सकते हैं
इस प्रस्ताव में ऐसा नियम भी बनाया गया है कि यदि मां बाप ने बच्चों को कोई जमीन या संपत्ति का कोई हिस्सा पहले से ही आवंटित कर दिया है और उसके बाद उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है तब भी वह उस किए गए करारनामे को रद्द करवा सकते हैं। बिल्कुल सही कहा गया है कि जो लोग अपने मां-बाप का सम्मान नहीं कर सकते उनका सम्मान समाज कैसे कर सकता है।

वृद्धाश्रम में रहती है अच्छी खासी भीड़
कई बार देखने में आता है कि जैसे ही माता पिता अपनी संपत्ति को अपने औलाद के नाम पर आवंटित कर देते हैं उसके बाद उनके बच्चे उनसे किनारा करना शुरू कर देते हैं। घर में हमेशा विवाद का माहौल बनाया जाता है। ऐसा करने से वह बुजुर्ग दंपति काफी व्यथित होते हैं और आखिरकार उन्हें थक हार कर वृद्ध आश्रम का सहारा लेना पड़ता है। बच्चों को अपने बुजुर्ग माता-पिता से आजादी मिल जाती है और वह वृद्धाश्रम में जाकर उनका हाल-चाल भी नहीं लेते हैं। आप अपने आसपास के किसी भी वृद्धाश्रम में जाकर देख ले तो आपको वहां पर अच्छी खासी भीड़ मिलेगी। आपको आश्चर्य होगा कि बड़े-बड़े लोग भी अपने माता-पिता का बोझ उठाने के बजाय उन्हें वृद्ध आश्रम में रखना पसंद करते हैं।
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