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Tuesday, June 6, 2023

6 वर्ष में हो गई थीं नेत्रहीन: अपनी मेहनत से सबको झुठलाते हुए बन गईं IAS

मजबूत इरादे और बुलंद हौसले हो तो हम कुछ भी कर सकते हैं। कई लोग अपनी शारीरिक स्थिति से बिल्कुल ठीक होते हैं फिर भी किसी एक हार से अपने जीवन में जीत की उम्मीद छोड़ देते हैं। लेकिन सब लोग ऐसा नहीं करते हैं। आज हम एक ऐसी लड़की के बारे में जानेंगे जिन्होंने नेत्रहीन होते हुए भी मिसाल कायम किया है। वह दुनिया को नहीं देख सकती लेकिन दुनिया उसे देख सकती है। वह अपने जीवन के अंधेरे को मन की आंखों से मिटाने का काम करती हैं। कई लोग तो आंख, हाथ, पैर तथा शरीर के सभी अंगों के ठीक होने के बावजूद भी एक हार मिलने पर ही जीत की आस छोड़ कर बैठ जाते हैं।

आज की यह कहानी उस लड़की के जीवन को बयां करती है जो अपनी आंखों से कभी देख नहीं सकती है। वह अपने आंखों की रोशनी खो चुकी हैं लेकिन फिर भी हिम्मत नहीं हारी और इतिहास रच दी। प्रांजल पाटिल का जन्म महाराष्ट्र के उल्हासनगर में हुआ था। प्रांजल जब मात्र 6 साल की थी तभी उनके आंखों की रोशनी चली गई। यह एक ऐसी दुर्घटना थी जिसने एक छोटी सी बच्ची के सारे सपने तोड़ दिए। लेकिन वह लड़की हार नहीं मानी और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ी। प्रांजल कभी भी अपनी कमजोरी को अपनी हार नहीं बनने दी। वह जी तोड़ मेहनत करती थी।

प्रांजल अपने लगन और मेहनत के बदौलत देश की पहली नेत्रहीन आईपीएस ऑफिसर महिला बनीं। उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी लेकिन उनके पढ़ने की लगन नहीं गई। प्रांजल ने मुंबई के दादर स्थित श्रीमती कमला मेहता स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की है। यह स्कूल नेत्रहीन बच्चों के लिए था। प्रांजल ने अपनी पढ़ाई ब्रेल लिपि में पूरी की। प्रांजल ने 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद चंदाबाई कॉलेज से 12वीं की परीक्षा 85% रिज़ल्ट से पास की। प्रांजल ने सेंट जेवियर कॉलेज से आगे की पढ़ाई पूरी की। जब प्रांजल ग्रेजुएशन कर रही थी तब उन्होंने यूपीएससी के बारे में एक आर्टिकल पढ़ी थी। जब से प्रांजल को यूपीएससी के बारे में पता चला तब से वह इसके बारे में जानकारी इकट्ठा करने लगीं।

प्रांजल अपने जीवन में पहले से ही फैसला कर चुकी थी कि वह यूपीएससी का एग्जाम देगी। लेकिन अपने इस फैसले के बारे में वह किसी को बताई नहीं थी। ग्रेजुएशन करने के बाद प्रांजल दिल्ली चली गई और वहां जेएनयू में आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया। प्रांजल ने एमफिल करने के बाद पीएचडी करने का फैसला किया। प्रांजल को यूपीएससी क्लियर करने का जुनून सवार हो गया था। प्रांजल यूपीएससी क्लियर करने के लिए दिन रात मेहनत किया करती थी। वह यूपीएससी परीक्षा देने के लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर की मदद लेती थी। प्रांजल कोई भी कोचिंग ज्वॉइन नहीं की थी। ये खास सोफ्टवेयर उनकी किताब पढ़ सकता था। प्रांजल मॉक टेस्ट पेपर भी बनाई थी और डिस्कशन में भी गई थी।

वह मेहनत करती जा रही थी। अब उनको बस इस मेहनत के परिणाम का इंतजार था। प्रांजल 2016 में यूपीएससी की परीक्षा में पहली बार बैठी और पहली ही बार में पास करके सबको अचंभित कर दिया। प्रांजल ने ऑल इंडिया 773वां रैंक हासिल किया। रैंक अच्छी थी लेकिन दृष्टिहीन होने के कारण भारतीय रेलवे लेखा सेवा में उनको नौकरी नहीं मिली। इस असफलता के कारण प्रांजल ने दूसरी बार एग्जाम देने का फैसला किया। इस बार प्रांजल ने ऑल इंडिया 124वां रैंक प्राप्त किया। प्रांजल प्रशासनिक सेवा के लिए चुनी गईं। इस सफलता के लिए हम अपनी टीम की तरफ से प्रांजल को बधाई देते हैं।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

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