यह जरूरी नहीं है कि सिर्फ ख़ून के रिश्ते में ही प्रेम होता है। यदि कोई खून का रिश्ता न भी हो, तब भी इंसान का स्वभाव दूसरे इंसान को प्रेम करने पर मज़बूर कर देता है। आज हम आपको एक ऐसी ही अनौपचारिक रिश्ते के बारे में बताएंगे जो एक बूढ़ी माँ एवं पुलिसकर्मी के बीच का है। उनका रिश्ता ख़ून के रिश्ते से भी बढ़ कर है। आइये जानते हैं पूरी कहानी….
89 वर्षीय वृद्ध महिला वीनू वैन अढ़िया राजकोट के मेंदुलनगर के गली नं.6 में अपने परिवार के साथ रहती है। अधिक उम्र होने के बावजूद भी वह पिछले साढ़े तीन सालों से गुज़रात में राजकोट शहर में भक्तिनगर पुलिस थाने में पैदल चलकर जाती है। एक सिपाही ने उनके बारे में बताया कि वह कई वर्ष पहले कोलकाता में शिक्षिका के पद पर भी काम कर चुकी हैं।

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पुलिसकर्मी प्रेम एवं आदर के साथ उन्हें बैठा कर आइसक्रीम खिलाते हैं और उनसे बातें भी करते हैं। पुलिसकर्मी हर तरह से उनकी मदद भी करते हैं। पुलिसकर्मी उन्हें उनके बेटे एवं पोते से भी फ़ोन पर बात करवा देते है। प्रतिदिन दिन में दो बार वीनू बेन पुलिसकर्मियों से मिलने जाती हैं एवं आइसक्रीम खा कर उन्हें दुआएं देती हैं।
दरअसल, यह पूरा सिलसिला उनके मकान मालिक को लेकर शुरू हुआ था। वीनू बेन 3 वर्ष पहले अपने मकान मालिक पर रिपोर्ट दर्ज कराने भक्तिनगर पुलिस स्टेशन गई थी। वहां उनकी समस्या को PI बलिदान गढ़वी ने सुनी एवं उनके मकान मालिक से विनम्र स्वभाव से इस बारे में बात किया एवं मकान खाली न कराने की सलाह दिया। PI गढ़वी के विनम्र स्वभाव के कारण वीनू बेन एवं उनके बीच माँ बेटे जैसा संबंध बन गया, तभी से उनका आना जाना भक्तिनगर पुलिस स्टेशन में हो गया।

दो साल पहले वीनू बेन की अचानक तबियत खराब हो गई थी, तब पुलिस कर्मियों ने दिन-रात एक करके उनकी सेवा की। थाने के सभी पुलिसकर्मी उन्हें माँ का दर्जा देते हैं। वीनू बेन भी उन्हें अपने बेटों जैसे प्रेम करती है एवं उन्हें अपना परिवार मानती हैं।
पुलिस कर्मियों के घूसखोरी एवं बेईमानी की घटनाओं को तो हम खूब शेयर करते हैं, आज इन पुलिसकर्मियों के ‘माँ-बेटों’ की अनोखी प्रेम कहानी को भी ज़रूर शेयर करें।