समाज शब्द ही समान जन की भावना से बना है, इसलिए जब तक समानता की पराकाष्ठा को ये प्राप्त नही कर लेता तब तक इसे अपने आप में कुछ परिस्थिति वश परिवर्तन आवश्यक रूप में करने होंगे। जिस प्रकार हर किसी स्मार्टफोन में हर माह या हर वर्ष कुछ अपडेट के द्वारा उसके सुरक्षा सॉफ्टवेयर्स को बदला जाता है जिससे वो और बेहतर काम कर सके। चीज़े कितनी भी अच्छी क्यों न हो उनमे समय के साथ परिवर्तन जरूरी है। ये परिवर्तन उसे बेहतर बनाती है। आज हम एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएंगे जिन्होंने गांव की बदहाल स्थिति को देखकर उसके बदलाव हेतु डॉक्टर की नौकरी छोड़ कर बन गए IAS.
कौन है धीरज कुमार सिंह ?
गोरखपुर के धीरज कुमार सिंह ने साल 2019 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 64वीं रैंक के साथ टॉप किया है। उन्होंने अफसर बनने के लिए 5 लाख महीने की कमाई का जॉब छोड़ दिया। परिवार के विरोध के बावजूद UPSC की तैयारी करने लगे।

मेडिकल विभाग में अच्छे थे धीरज।
धीरज मेडिकल में अच्छा काम कर रहे थे। उनके मन मे समाज को बदलने के लिए यूपीएससी की परीक्षा देने का ख्याल आया। परिवार के विरोध के बावजूद भी उन्होंने अपने मन मे सोचा कि अगर सफल न हुए तो वापसी कर लेंगे। धीरज पहले ही तय करके आए थे कि अगर पहले अटेम्पट में सफल नहीं हुए तो अपने पुराने कैरियर यानी मेडिकल में जाएंगे। अपने इस सफर के दौरान धीरज ने बहुत से उतार-चढ़ाव देखे पर कभी हार नहीं मानी। और आखिरकार पहली कोशिश में ही धीरज को सफलता मिली।
मध्यम वर्गीय परिवार से है धीरज।
धीरज अत्यंत ही मध्यम वर्गीय परिवार से आते है। उनके परिवार में माता-पिता के अलावा एक भाई और हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही एक साधारण हिंदी मीडियम स्कूल से हुई। कक्षा बारहवीं तक वे यहीं पढ़े। इसके बाद धीरज ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस और एमडी किया। धीरज शुरू से ही पढ़ने में अच्छे थे और चाहे एमबीबीएस की सीट हो या उससे भी कठिन एमडी सीट, धीरज ने दोनों एंट्रेंस न केवल पास किए बल्कि अच्छे नंबरों से डिग्री भी पूरी की।

UPSC में अव्वल हुए।
एमडी की डिग्री पूरी करने के बाद धीरज को महीने के पांच लाख तक कमाने का अवसर मिला पर वे अपने सपने को लेकर प्रतिबद्ध थे, जबकि धीरज की आर्थिक स्थिति कभी भी बहुत अच्छी नहीं थी। लेकिन वे मन में कोई मलाल नहीं रखना चाहते थे। इसलिए यूपीएससी की तैयारी के लिए आगे बढ़े। नतीजा यह हुआ कि वाकई धीरज पहले प्रयास में साल 2019 में 64वीं रैंक के साथ यूपीएससी-सीएसई परीक्षा पास कर गए।
समाज को बदलने की प्रबल इच्छा।
धीरज अपने समाज को बदलने के सपने को लेकर IAS बने। वो बदलाव के हमेशा से पक्षधर रहे है। हमें भी समाज को एक अच्छी दिशा में ले जाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए।