इस दुनिया में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो अपना संपूर्ण जीवन समाज सेवा के नाम समर्पित कर देते हैं। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं मुदुरै की सामाजिक कार्यकर्ता चिन्ना पिल्लई। जिनके समाजिक कार्यों को देखते हुए सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है।
उनके नेक कार्यों के लिए पूर्व PM अटल बिहारी बाजपेयी जी ने छुए थे उनके पैर
चिन्ना पिल्लई ने 5, 10, 20 रुपए के साथ छोटा ऋण की शुरुआत की थी। वह सुबह में मजदूरी करती थी और रात में छोटा ऋण के लिए काम करती थी। उन्होंने ग्रामीण इलाकों में शराब और सूदखोरी के खिलाफ काम किया है। यही नहीं उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने का भी कार्य किया। उनके कार्यों का ही फल है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उनके पैर छुए थे। यही नहीं चिन्ना पिल्लई को उनके कार्यों के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित किया है। चिन्ना पिल्लई के कार्यों की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम होगी। उन्होंने समाज की कुरीतियों और अत्याचार के खिलाफ जो आवाज उठाई है वह वाकई सराहनीय है। लेकिन चिन्ना पिल्लई के लिए सफलता की कहानी लिखना इतना आसान नहीं था। इस बीच उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। आइए जानते हैं उनके जीवन का संघर्ष से सफलता तक का प्रेरणादायी सफर।

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सुबह करती थी मजदूरी और शाम को शराब और सूदखोरी के खिलाफ करती थी काम
तमिलनाडु के मदुरै के पास एक छोटे से गांव की रहने वाली चिन्ना पिल्लई, उस वक्त सुर्खियों में आई थीं। जब एक मंच पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनके पैर छूए थे। जबकि उम्र में वह पिल्लई से बड़े थे। सामाजिक कार्यकर्ता पिल्लई ने 5, 10, 20 रुपए के साथ ‘कलंजियम'( छोटा ऋण) की शुरुआत की थी। वह सुबह में मजदूरी करती थी और रात में ‘कलंजियम’ के लिए काम करती थी। उन्होंने ग्रामीण इलाकों में शराब और सूदखोरी के खिलाफ काम किया है।

अनपढ़ पिल्लई ने खोला जरूरतमंद को लोने देने वाला बैंक
पिल्लई का जन्म छोटे से गांव में हुआ था। उनका बचपन बहुत गरीबी में बिता। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण उन्होंने कभी स्कूली शिक्षा ग्रहण नहीं की। वह अनपढ़ रहीं पर अपने नाम के हस्ताक्षर करना वह जानती हैं। इसके बावजूद छोटी जगह उनकी बड़ी सोच और बड़ी सफलता में बाधा नहीं बन पाई। गांव के जमींदार कर्ज के बदले 300 प्रतिशत लगान वसूल करते थे। गरीब किसान मजबूर थे, तब पिल्लई ने गांव के गरीब और जरूरतमंद किसानों कि लिए आवाज उठाना शुरू किया। और जमींदारों के अत्याचारों के खिलाफ बोलने लगीं। वह किसानों और जमींदारों के बीच किसानों की ओर से मध्यस्थता करने लगीं और गरीबों की नेता के रूप में लोकप्रिय होती गईं।

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गरीबों की बनी मसीहा
चिन्ना पिल्लई महिला सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष रूप है। उन्होंने किसानों को सूदखोरों से बचाने के लिए आवाज उठाई। उन्होंने लाचार किसानों का जीवन अच्छा करने की खुद पहल करने की सोची। इसके लिए उन्होंने 10 लोगों को साथ ले एक समूह बनाया और मात्र 20 रुपये से एक छोटा सा ऋण बैंक स्थापित किया। अब यह बैंकिग संगठन बहुत बड़ा आकार ले चुका है। लेकिन शुरूआत में उन्होंने 5, 10, 20 रुपये के साथ छोटा ऋण की शुरुआत की थी। आज 13 राज्य के 63 जिले में 1.2 लाख से भी ज्यादा परिवारों तक उन्होंने अपनी मदद पहुंचाई है।

महिलाओं को बनाया सशक्त
चिन्ना पिल्लई ने केवल किसानों के लिए ही नहीं बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए भी कार्य किया। उन्होंने आसपास के गांवों की महिलाओं के साथ मिलकर एक माइक्रोक्रेडिट बैंकिंग सिस्टम शुरू की। जिसके जरिए जरूरतमंदों को बेहद कम दर पर कर्ज दिया जाता है। उनकी इस छोटी सी कोशिश ने बहुत सी महिलाओं को गरीबी से बाहर निकालकर आत्मनिर्भर बनने में भी मदद की। पुल्लूचेरी के ऋणग्रस्त गांव में महिलाओं के बीच एक बचत इकाई का नेतृत्व करने की उनकी मंशा इतनी सफल हो गई कि जल्द ही इस क्षेत्र में समान प्रभाव वाले कई समूह उग आए।

जब अटल बिहारी वाजपेयी ने छूए थे पैर
साल 2001 में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में मदुरै चिन्ना पिल्लई को स्त्री शक्ति पुरस्कार 1999 देते वक्त उनके पैर छू लिए थे। पुरस्कार लेते वक्त जब वह वाजपेयी के पैर छूने के लिए झुकीं तो अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें रोका और खुद ही झुककर उनके पैर छुए थे। अपने संबोधन में अटल ने कहा था कि चिन्ना पिल्लई में वह शक्ति देखते हैं। चिन्ना पिल्लई ने तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में एक सफल बैंकिंग सिस्टम की शुरुआत की थी।
Social worker Chinna Pillai on being awarded Padma Shri: I started with a meagre amount of Rs 5, 10, 20, & formed 'Kalanjiam' (microcredit loans). I used to work as a labourer in day & for 'kalanjiam' in night. I worked against alcoholism & usury prevalent in rural areas. pic.twitter.com/JDSYsiQeli
— ANI (@ANI) January 26, 2019
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सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से किया सम्मानित
चिन्ना पिल्लई के सामाजिक कार्यों को देखते हुए वर्ष 2019 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उस वक्त भी उन्होंने सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी जी को याद किया था। और दोहराया था कि वह पहली बार दुनिया के सामने पूर्व प्रधानमंत्री की वजह से आईं। यही नहीं तमिनाड़ू में सफल बैंकिग प्रणाली की शुरूआत करने और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें 1999 में शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार पूरे देश में से चुनी गईं पांच महिलाओं में से एक को दिया जाता है।
चिन्ना पिल्लई आज महिला सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष उदाहरण है। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के दम पर अपनी सफलता की कहानी लिखी है। उन्होंने ना केवल महिलाओं के लिए बल्कि समाज की बुराईयों को दूर करने के लिए अकेले आवाज़ उठाई। यही कारण है कि वह आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।