समाज में स्त्रियों की भागीदारी अहम होती जा रही है। चाहे वह मां, पत्नी, बहन, टीचर या सास के रूप में हो या फिर किसी और रूप में। हर रूप में सफल है वह। निजी और प्रोफेशनल जिंदगी के बीच संतुलन बनाना ही सफलता है। घर में एक लडकी का होना बहुत जरूरी है। वह घर ही नहीं पूरे समाज को संवार देती है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम स्त्रियों को बराबरी का दर्जा दें।एक शिक्षक के रुप में भी वे पूरी निष्ठा से कार्य करती हैं। आज हम आपको एक स्त्री के बारे में बताने जा रहे है जो प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका रह चुकी है। स्कूल जाने के लिए इन्हें 8 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी। फिर भी अपनी लगन और मेहनत से यूपीएससी की परीक्षा पास कर सभी के लिए उदाहरण बनी है।
कौन है शिक्षिका सीरत फातिमा ?
सीरत फातिमा इलाहाबाद की रहने वाली है। इनके पिता का नाम अब्दुल गनी सिद्दीकी है जो इलाहाबाद के मेजा तहसील में लेखपाल के रूप में कार्यरत हैं और मां हाउसवाइफ हैं। इनकी सबसे बड़ी पुत्री सीरत हैं। इनके पिता का सपना था कि वह एक IAS अधिकारी बनें। फातिमा ने 2017 में UPSC निकाल कर अपने पिता के सपनों को साकार किया।

अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ा फातिमा को।
फातिमा को अपने पढ़ाई के दौरान अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनके पिता उन्हें पढ़ाना चाहते थें। आर्थिक स्थिति ठीक न होते हुए भी उन्होंने अपनी बेटी का नामांकन सेंट मैरी प्रायवेट स्कूल में कराया।
फातिमा ने शिक्षिका की भूमिका निभाई।
फातिमा अपनी 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई खत्म करके स्नातक की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में अपना दाखिला कराया। सीरत ने यहीं से अपनी B.Sc. की पढ़ाई पूरी कर B.Ed. की डीग्री भी हासिल की। पिता की आर्थिक स्थिति सही न होने के वजह से वह एक प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने भी लगी ।पढ़ाने से इनके पढ़ाई का खर्च और घर पे भी कुछ आर्थिक मदद हो जाती थी।

लगभग 38 KM जाती थी पढ़ाने।
जी हां फातिमा बस से 30 KM की दूरी तय करती थी फिर वह बचा हुआ 8 KM पैदल चल कर जाती थी। फिर लौटने वक्त भी उनके साथ यही स्थिति थी। इसी दौरान फातिमा के मन में UPSC करने का विचार आया।
असफलता से घबराई नही।
स्कूल में समय देने की वजह से वह बराबर असफल होती रही।
वह 3 बार यूपीएससी की परीक्षा में असफल रहीं। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने कर्तव्य पथ पर गतिमान रही। उसी दौरान घरवालों के दबाब पर उन्हें शादी भी करना पड़ा जो कि वह नही करना चाहती थी।

शादी के बाद फिल्मों से प्रेरणा मिली।
फातिमा अपने शादी के बाद एक फ़िल्म जिसका नाम मांझी-द माउंटेन मैन था, इस मूवी को देख वह प्रेरित हुई और उन्होंने इससे प्रेरणा लेकर जो कार्य किया वह हर किसी के सामने है। शादी के 3 माह के बाद तैयारी करना शुरू कर दी। वर्ष 2016 में सीरत 6 अंक के कारण असफल हुई थी फिर इन्होंने प्रीलिम्स की परीक्षा दी और उसमें सफलता हासिल की। इसमें सफलता हासिल करने के बाद वह UPSC के मेंस की तैयारी में जोर-शोर से लगीं।
अंततः 2017 में इन्होंने UPSC परीक्षा में 810वीं रैंक हासिल की।
फातिमा उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा स्वरूप है जो शादी के बाद सोचती है कि उनकी ज़िंदगी यही तक थी। एक लड़की अपने ज़िंदगी में जो चाहे वो कर सकती है अगर उसके पास दृढ़ इक्छाशक्ति हो।