सफलता हर किसी के जीवन का लक्ष्य है। जीवन चुनौतियों और अवसरों से भरा है लेकिन केवल उन्हीं लोगों को सफलता मिलती है जो वास्तव में अवसरों को प्राप्त करने और चुनौतियों का सामना करने के लिए संघर्ष करते हैं। कड़ी मेहनत और समर्पण सफलता की यात्रा का एकमात्र मंत्र हैं। उत्साह और कड़ी मेहनत के बिना कोई भी सफलता हासिल नहीं कर सकता है। आज हम आपको एक ऐसी ही लड़की के बारे में बताएंगे जिन्होंने मुश्किलों को पार करके यूपीएससी में पाई छठी रैंक।
कौन है विशाखा यादव?
दिल्ली पुलिस में कार्यरत एएसआई की बेटी ने छठवीं रैंक हासिल की है। परीक्षा में छठवीं रैंक पाने वाली विशाखा यादव ने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर अपने सपने को साकार किया। अपने सपने को साकार करने और पिता का नाम दिल्ली पुलिस में ऊंचा करने वाली विशाखा यादव मूलरूप से उत्तर प्रदेश के मुथरा की रहने वाली हैं।

बेटी को खूब पढ़ाया ASI पिता ने
विशाखा के पिता राजकुमार यादव दिल्ली पुलिस में एएसआई के पद पर कार्यरत है। बेटी की कामयाबी से जहां परिवार खुश हुआ, तो वहीं दिल्ली पुलिस में राजकुमार यादव का मान बढ़ गया। दिल्ली पुलिस ने दोनों को बुलाकर सम्मानित भी किया।

इंजीनियरिंग की जॉब छोड़ी।
विशाखा ने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीटेक की पढ़ाई पूरी की। विशाखा ने बेंगलुरु में दो साल तक इंजीनियरिंग की नौकरी करने के बाद यूपीएससी की परीक्षा देने का फैसला किया। आईएएस बनने का सपना लेकर वह फिर दिल्ली आ गई और अपने सपने को पूरा करने में जुट गई। उन्होंने तीन-चार साल यूपीएससी की तैयारी की। इस दौरान उन्होंने दो बार एग्जाम भी दिया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली और आखिरकार विशाखा ने तीसरे प्रयास में छठी रैंक हासिल की। सबसे खास बात यह है कि इससे पहले दो प्रयास में विशाखा यादव यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर पाई थी। इस बार विशाखा ने बुलंदी के झंडे गाड़ दिए।

बड़ा पाने के लिए उठाया जोखिम।
बेंगलुरु शहर में नौकरी करने वाली विशाखा ने कुछ बड़ा करने के लिए ही इतना बड़ा कदम उठाया। मन में आईएएस बनने का सपना देखने वाली विशाखा इसे साकार करने में जुट गई और आखिरकार सपना को साकार कर के ही दम लिया।
कठिन मेहनत किया।
विशाखा यादव को यूपीएससी में यहां तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। इरादा पक्का करके मेहनत करने में जुटी विशाखा आखिरकार कामयाब ही रही। विशाखा यादव ने जोखिम लिया और वह कामयाब बनी हैं। उन्होंने नियमित रूप से पढ़ाई की और प्रतिदिन औसतन लगातार दस घंटे तक पढ़ाई करती थीं।