‘हम जो चाहे वह कर सकते हैं’ यह तो हम लोग शुरू से ही सुनते आ रहे हैं। पर क्या आप विश्वास करेंगे कि कोई बच्चा 4थी कक्षा में ही इतना मैच्योर था कि उसने उस समय जो ठाना उसे पूरा करके ही रहा। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं IPS आनंद मिश्रा की। आजकल IPS आनंद मिश्रा अपने ट्रांसफर को लेकर सोशल मीडिया पर खासे लोकप्रिय हो रहे हैं।

मिलिए IPS आनंद मिश्रा से
आज के दौर में, इतने कंपटीशन के बीच खुद को साबित करना काफ़ी कठिनाइयों से भरा है। कई बार हौसले डगमगा जाते हैं, पर सफल वही होता है, जो खुद पर विश्वास रखे और आगे बढ़ता रहे। IPS देश के सबसे ज़िम्मेदार पदों में से एक है। IPS आनंद मिश्रा बिहार राज्य के भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड के परसौडा गांव के मूल निवासी हैं। आनंद मिश्रा का जन्म 1 जून 1989 को हुआ था।

जन्म, लालन-पालन, पढ़ाई-लिखाई सब कलकत्ता में ही हुआ
उनके पिताजी परमहंस मिश्रा एक इंजीनियर थे। उनकी पोस्टिंग कोलकाता में थी इसलिए आनंद का जन्म से लेकर पढ़ाई-लिखाई तक सब वहीं हुआ। उनके पिताजी हिंदुस्तान मोटर्स, कोलकाता में काम करते थे। आनंद ने अपनी स्कूल और कॉलेज की शिक्षा कोलकाता, वेस्ट बंगाल से ही प्राप्त की। उन्होंने ग्रेजुएशन करने के बाद वेस्ट बंगाल सिविल सेवा की परीक्षा पास की।

होनहार बिरवान के होत चिकने पात
जब ये 4थी कक्षा में पढ़ते थे तब स्कूल आते-जाते समय एक पुलिस इंस्पेक्टर को देखा करते थे। उस समय ये तकरीबन 8 वर्ष के ही थे। उसी समय इन्होंने यह ठान लिया कि इनको भी एक पुलिस ऑफिसर ही बनना है। 8वीं कक्षा में जाने के बाद वे आईपीएस बनने का सपना देखने लगे। कोई सोच भी नहीं सकता था कि 8 वर्ष का कोई बच्चा इतने कम उम्र में ही इतनी बड़ी सोच रख सकता है और इतना मैच्योर हो सकता है।

असम कैडर के आईपीएस हैं आनंद
आनंद मिश्रा 2011 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं। इनकी यूपीएससी में 225वीं रैंक थी। आनंद मिश्रा सच्ची मेहनत और लगन के बदौलत आईपीएस ऑफिसर बनें। इनको असम कैडर मिला था। आईपीएस ज्वाइन करने के बाद आनंद मिश्रा 2013 से 2017 तक मेघालय में एसपी के पद पर कार्यरत थे। इन्होंने मेघालय के गारो हिल्स पर विभिन्न तरह के उग्रवा’दी संगठनों के खिलाफ चलने वाले हिल स्टॉर्म सहित अन्य ऑपरेशन का नेतृत्व भी किया है। वे कमांडो और असम पुलिस के साथ मिलकर उग्रवा’दियों का सफाया करने में कभी भी पीछे नही रहते थे।

असम में हुए लोकप्रिय
2017 के बाद आईपीएस आनंद मिश्रा की पोस्टिंग असम राज्य में हुई। आनंद अपनी शानदार पुलिस कार्यशैली और लोगों की मदद करने की प्रवृत्ति के कारण असम के युवाओं और आम जनता के बीच लोकप्रिय हो चुके हैं। इतना ही नहीं, वो अपने शानदार कार्य के कारण सोशल मीडिया के जरिए दूसरे राज्य के युवाओं के बीच भी लोकप्रिय हो रहे हैं। आनंद उग्रवा’दियों की धरपकड़ के साथ अपने क्षेत्र में आम जनता की सुविधा में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। लोग कहते हैं कि रूटीन काम के बाद अगर उन्हें कुछ समय बच जाता है तो इस समय का उपयोग वो अपने क्षेत्र के लोगों से बातचीत करने और उनकी समस्या सुलझाने में करते हैं।


सेवा-भाव की है सोच
अभी कुछ दिन पहले ही पांच उग्रवा’दियों को पकड़ने के बाद वो सुर्खियों में आये थे। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि पुलिस का कार्य ही सेवा करना है। उनके द्वारा उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें राष्ट्रपति से पराक्रम पदक भी मिल चुका है। आईपीएस आनंद मिश्रा को बाइक चलाना, कविता लिखना और गिटार बजाना बहुत पसंद है। बाइक राइडिंग को वे हॉबी नहीं बल्कि पैशन मानते हैं।
धुबरी के लोगों ने नम आंखों से विदा किया
आनंद मिश्रा असम के धुबरी के एसपी के पद पर कार्यरत थे लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया के जरिए मालूम हुआ है कि उनकी पोस्टिंग धुबरी से असम के ही नागाओं में हो गया है। धुबरी के लोग आईपीएस आनंद मिश्रा से बहुत प्यार करते हैं। हाल ही में आनंद जी ने उग्रवा’दियों के खिलाफ जो सफल अभियान चलाया था उनके लिए असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल 31 अक्टूबर को असम पुलिस दिवस के अवसर पर उन्हें सम्मानित करेंगे।

हमारी है इच्छा- ‘जहाँ रहें, खुश रहें’
भले ही IPS आनंद मिश्रा सरकारी आदेश के कारण धुबरी से पदस्थापित हो गये हों लेकिन वो हमेशा धुबरी की जनता के चहेते रहेंगे। हमें यह भी पूर्ण विश्वास है कि IPS आनंद मिश्रा जहाँ रहेंगे, वहीं लोगों के चहेते बन जाएंगे। हम ‘दोस्तों के दोस्त, दुश्मनों के दुश्मन’ IPS आनंद मिश्रा के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं। उन्हें इंस्टाग्राम पर फॉलो करने के लिए यहाँ क्लिक करें। ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहाँ क्लिक करें।