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Wednesday, May 31, 2023

बचपन से ही एक हाथ नहीं था, माता-पिता ने भिखारियों से बेचा, बुआ ने छुड़ाया: आज हैं चिकन टिक्का किंग

हम चाहें तो कुछ भी कर सकते हैं बस हौसले बुलंद होने चाहिए। यह कहावत आज तक बस हम सुनते आ रहे थे लेकिन आज हम एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जानेंगे जो इस बात को सही साबित कर दिए। उनके बुलंद हौसले ने उनके एक हाथ ना होने की कमी को ढक दिया। तेजिंदर मेहरा जिनका एक हाथ नहीं है फिर भी वह अपने बुलंद हौसले के बदौलत अपने जिंदगी में आगे बढ़ रहे हैं। तेजिंदर का जन्म दिल्ली में हुआ है। तेजिंदर का जन्म एक हाथ के साथ ही हुआ था।

उनके माता-पिता एक हाथ के बच्चे को देखते हुए, उसके आने वाले जिंदगी के बारे में तेजिंदर को भीख मांगने वाले गिरोह को 20 हज़ार में बेच दिया था। लेकिन तेजिंदर की बुआ जो आर्थिक रूप से संपन्न नहीं थी इसके बजाय उनसे यह सब देखा नहीं गया और तेजिंदर को अपने पास रखने का निश्चय कर ली। यही से तेजिंदर के ज़िन्दगी में संघर्ष शुरू हो गया। बुआ भीख मांगने वाले गिरोह से उन्हें छुड़ा कर अपने घर ले आई। तेजिंदर अभी मात्र 26 वर्ष के ही है। तेजिंदर के बुआ के पास तेजेंद्र को पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे फिर भी वह जैसे तैसे करके तेजिंदर को पढ़ाई।

तेजिंदर की बुआ तेजिंदर का पूरा ख्याल रखा करती थी। तेजिंदर अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहते थे लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उनको पढ़ाई छोड़नी पड़ी। पढ़ाई छोड़ने के बाद तेजिंदर घर के खर्च के लिए काम ढूंढना शुरू कर दिया। नौकरी ढूंढते ढूंढते तेजिंदर का मन वर्कआउट की तरफ गया। तेजिंदर अपने घर पर ही वर्कआउट करने लगा। शुरुआत में तेजिंदर सरकारी जिम ज्वाइन किया लेकिन कुछ दिनों बाद उसे प्राइवेट जिम जाना शुरु कर दिया। तेजिंदर मिस्टर दिल्ली प्रतियोगिता में अपना नाम रजिस्टर करवाने सोचा और इस बात में तेजिंदर के कोच ने भी तेजिंदर का पूरा साथ दिया। तेजिंदर अपना नाम रजिस्टर करवाया और मिस्टर दिल्ली का टाइटल भी जीता। 2016 और 2018 में भी मिस्टर दिल्ली टाइटल जीता।

घर की स्थिति खराब होने के कारण उन्हें जिम भी छोड़ना लेकिन तेजिंदर को घर खर्च के लिये भी रुपये कमाने थे। जिम के बारे में उनको काफी अनुभव हो चुका था। उनके घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण तेजिंदर फिटनेस कोच बन गए और लोगों को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिए। इसी बीच लॉक डाउन लग गया परंतु लॉकडाउन लगने के बावजूद भी तेजिंदर ने हिम्मत नहीं हारी और दूसरा काम करने के तरफ खुद को मोर लिया। जब लॉकडाउन खत्म होना शुरू हो रहा था तब तेजिंदर ने अपने ट्रेनर से 30 हज़ार रु उधार लिये जिससे वह दिल्ली में ही एक चिकन प्वाइंट की शुरुआत कर दी।

तेजिंदर के द्वारा शुरू की गई यह चिकन प्वाइंट लोगों को बहुत पसंद आया। तेजिंदर 150रू में हाफ प्लेट चिकन टिक्का और 250रू का फुल प्लेट चिकन टिक्का बेचने लगा। तेजिंदर के पास एक हाथ ना होने के कारण तेजिंदर सिर्फ एक हाथ से ही चिकन टिक्का बनाता था और खुद ही लोगो को सर्व करता था। तेजिंदर के स्टोल पर स्वादिष्ट और अच्छी गुणवत्ता होने के कारण काफी भीड़ लगी रहती थी। कोविड-19 की केस बढ़ने के कारण तेजिंदर का बिजनेस फिर बंद हो गया उम्मीद है की तेजिंदर फिर कुछ ना कुछ सोच ही लिये होंगे।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

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