समाज को गति देने के लिए मन में समाज सेवा का जुनून होना चाहिए। समाज सेवा के क्षेत्र में सभी को आगे आना चाहिए। समाज विकास के लिए हर व्यक्ति अतीत और भविष्य की कड़ी बने। देश के हक में काम करना हर किसी का मकसद होना चाहिए। आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे है। जिन्होंने समाज विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं। इन्होंने बस तीसरी कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की हैं। पर इस शख़्स पर कई छात्रों ने पीएचडी की है। और इनको पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है।

आइए जानते है हलधर नाग के बारे में
हलधर नाग का जन्म 1950 में संभलपुर से लगभग 76 किलोमीटर दूर, बरगढ़ जिले में एक गरीब परिवार में हुआ था। जब वह 10 साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई। और वह तीसरी कक्षा के बाद पढ़ नहीं सके। इसके बाद वह एक मिठाई की दुकान पर बर्तन धोने का काम करने लग गए। दो साल बाद उन्हें एक स्कूल में खाना बनाने का काम मिला। जहाँ उन्होंने 16 साल तक नौकरी की।

अपने गाँव के विद्यार्थियों की मदद करने के लिए बैंक से लिया कर्ज
स्कूल में काम करते हुए उन्हें पता चला कि उनके गाँव में भी बहुत सारे स्कूल खुल रहे हैं। फिर उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें अपने गाँव के विद्यार्थियों की मदद करनी चाहिए। उसके लिए उन्होंने अपने गाँव के ही एक बैंक से संपर्क किया। और स्कूली छात्रों के लिए स्टेशनरी और खाने-पीने की एक छोटी सी दुकान शुरू करने के लिए 1000 रुपये का ऋण लिया।
कविता लिखने लगे हलधर।
लोक कथाएँ लिखने वाले नाग ने 1990 में अपनी पहली कविता लिखी। जब उनकी कविता ‘ढोडो बरगाछ’ (पुराना बरगद का पेड़) एक स्थानीय पत्रिका में प्रकाशित हुई। तो उन्होंने चार और कवितायेँ भेज दी और वो सभी प्रकाशित हो गए। इसके बाद उन्होंने दुबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी कविता को आलोचकों और प्रशंसकों से सराहना मिलने लगी।

सम्मान से प्रभावित होकर और कविताएं लिखने लगे हलधर।
जब उन्हें सम्मानित किया गया तो हलधर को यह सम्मान लिखने के लिए उन्हें और प्रोत्साहित किया। उन्होंने अपनी कविताओं को सुनाने के लिए आस-पास के गांवों का दौरा करना शुरू कर दिया और उन्हें सभी लोगों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। यहीं से उन्हें ‘लोक कवि रत्न’ नाम से जाना जाने लगा।
अपनी कविता भी सामाजिक मुद्दों पर ही लिखते थे: हलधर
हलधर के कविताएं सामाजिक मुद्दों के बारे में बात करती है, उत्पीड़न, प्रकृति, धर्म, पौराणिक कथाओं से लड़ती है, जो उनके आस-पास के रोजमर्रा के जीवन से ली गई हैं।

पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
हमेशा एक सफेद धोती और नंगे पैर चलने वाले हलधर नाग को, उड़िया साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।