कभी नरम तो कभी गरम अंदाज में बच्चों को अनुशासन और व्यावहारिकता का पाठ पढ़ाने वाले एक पिता ही अपने बच्चों के सपनों को पंख फैलाने का आसमान देते हैं।
देखा जाए तो हर घर में बेटियां पिता की लाडली होती हैं। वैसे भी अक्सर यही कहा जाता है कि बेटे मां के करीब होते हैं तो बेटियां अपने पापा के ज्यादा करीब होती हैं। आज हम आपको एक ऐसे पिता के बारे में बताएंगे जिन्हें अपने बेटी से इतना प्यार था कि उन्होंने अपने मृ’त बेटी को दुनिया भर में मशहूर कर दिया। आइये जानते है इसके बारे में।

करसन भाई पटेल का परिचय
करसन भाई पटेल एक भारतीय उद्योगपति और निरमा समूह के संस्थापक हैं। सन 1969 में एक छोटे से कमरे से शुरू किया गया निरमा पाउडर का व्यवसाय डॉ पटेल की लगन और कड़ी मेहनत से फलता-फूलता गया। आज वह भारत के सबसे धनी व्यक्तियों की सूचि में स्थान रखते हैं। उन्होंने यह व्यवसाय अपनी नौकरी के साथ-साथ किया कार्यालय जाते समय वह इसकी बिक्री करते थे और शाम को वापस आकर वह डिटर्जेंट का निर्माण और पैकिंग करते थे।

यह भी पढ़ें: 37 साल पहले रनवे से उड़ा था विमान, 37 साल बाद अचानक लैंड करके मचाई खलबली
निरमा पाउडर की शुरुआत
सन 1969 में उन्होंने निरमा अपने बेटी के नाम पर डिटर्जेंट का निर्माण किया। उसे खुद ही अपनी साइकिल पर घूम-घूम कर बेचना प्रारंभ किया। यह कार्य वह दफ्तर से आने के बाद शाम में करते थे और अगले दिन सुबह दफ्तर जाते वक़्त 15-20 पैकेट साइकिल पर बेचते चले जाते थे। लगभग तीन साल बाद उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अहमदाबाद के पास एक छोटी फैक्ट्री लगा ली।

महिलाओं को पसंद आया निरमा
बेहतर गुणवत्ता और कम कीमत ने निरमा डिटर्जेंट पाउडर को हर गृहणी का पसंदीदा पाउडर बना दिया। इसके बाद करसन भाई ने रेडियो और टेलीविज़न पर प्रचार के माध्यम से इसे देश के घर-घर में पहुंचा दिया। निरमा ने डिटर्जेंट बाज़ार में एक क्रान्ति ला दी। करसन भाई पटेल ने अपनी सूझ-बूझ से दस साल के अन्दर ही निरमा को सबसे ज्यादा बिकने वाला डिटर्जेंट पाउडर बना दिया।

बेटी के नाम पर कंपनी की शुरुआत की
करसन भाई पटेल के कंपनी का नाम निरमा रखना यह कहानी भी काफ़ी दिलचस्प है। निरमा उनकी बेटी जब जब स्कूल में पढ़ती थी तभी एक दिन कार हादसे में उसकी मौ’त हो गई। इस घटना के बाद करसनभाई और उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा गया। करसन भाई अपनी बेटी से बेहद प्यार करते थे। वह चाहते थे कि उनकी बेटी दिन दुनिया में ख़ूब नाम कमाए लेकिन छोटी सी उम्र में बेटी की मौ’त ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया।
बेटी के नाम को अमर बनाने के लिए ‘निरमा’ कंपनी की शुरुआत की
करसन भाई बेटी के जाने का ग़म भुला नहीं पा रहे थे। ऐसे में निरमा के जाने के बाद बेटी के नाम को अमर बनाने और लोगों की जुबां पर लाने का दृढ़ निश्चय करसन भाई ने किया। उन्होंने पहले बेटी के नाम पर ‘निरमा’ कंपनी’ की शुरुआत की। इसके बाद डिटर्जेंट के पैकेट पर बेटी की तस्वीर छाप कर उसे हमेशा के लिए अमर कर दिया।

यह भी पढ़ें: पढ़िए कैप्टन विक्रम बत्रा की वो अनूठी प्रेम-कहानी, जिसपर बॉलीवुड ने बनाई है फ़िल्म
लोगों के जुबान पर निरमा
1995 में करसन पटेल ने निरमा को एक अलग पहचान दी और उन्होंने अहमदाबाद में निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्थापना की। इसके बाद 2003 में उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और निरमा यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना भी की। आज करसन भाई की गिनती भारत के चंद रईस बिज़नेसमैन में की जाती है और उनकी बेटी निरमा का नाम भी लोगों की ज़ुबान पर रटा हुआ है।
उनका अपने बेटी के लिए प्यार अत्यंत ही गहरा है। आज लोग पिता-बेटी के इस प्यार की काफी प्रशंसा करते हैं।