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Wednesday, May 31, 2023

पिता घर-घर जाकर दूध बेचते थे, मुश्किल हालातों में पढ़कर बेटे ने निकाला UP-PSC, बन गया अधिकारी

किस्मत या भाग्य वैसे तो हमेशा इंसान के कर्म से ही तय होती है। लेकिन इंसान अपनी गलतियों को किस्मत पर थोप कर उसे सौभाग्य या दुर्भाग्य का नाम दे देता है। लेकिन अगर कभी आपका सामना अपने बुरे समय या दुर्भाग्य से हो भी जाए तो ऐसा क्या करें कि आपका दुर्भाग्य ही आपके सौभाग्य में बदल जाए। इस प्रश्न का जीवन में एक ही उत्तर है- धैर्य़, धीरज, सब्र।

कुछ भी कहिए लेकिन इस मंत्र को जीवन में उतार लीजिए कि संकट और असफलता की घड़ी में हमेशा धैर्य़ से धीरज से काम लीजिए। माना कि संकट के समय, या हार को सामने देखकर धैर्य रखना आसान नहीं होता है। अक्सर हमारे प्रयासों की विफलता हमें सफलता के पथ से भटका देती है। हम हार से नहीं हारते। हार के भय से हार जाते हैं।नकारात्मक सोच से ही हमारी पराजय होती है। प्रयासों की कमी से ही सफलता हमसे छिटक जाती है।

आज हम एक ऐसे इंसान के बारे में बताने जा रहे है जो एक मुश्किल वक्त में हार न मानते हुए अपने कर्तव्य पर अडिग रहे और सफल हुए।

उत्तर प्रदेश के शिवहरे के जालौन में स्थित एक छोटे से गांव के विपिन शिवहरे ने अपने पिता का नाम रौशन किया है। विपिन के पिता घर-घर घूमकर दूध बेचने का कार्य किया करते थे। इन्होंने UP-PSC मेन्स परिणाम 2018 में चौथा स्थान प्राप्त कर अपने गांव के साथ-साथ पूरे उत्तर प्रदेश का नाम रोशन किया है। 2018 के इस रिजल्ट में यह टॉप फाइव की लिस्ट में शामिल थे।

विपिन के पिता कहते है कि उन्होंने बहुत मेहनत करके अपने बेटे को पढ़ाया है। घर-घर दूध बेचकर, उन्होंने अपने परिवार का भरण पोषण किया है पर आज उनके बेटे ने उनका सर गर्व से ऊंचा कर दिया है।उनकी मेहनत अब सफल हो गई है। विपिन का भी सपना था कि वह एक अफसर बने और उस सपने को उन्होंने पूरा किया।

बात यदि शुरुआती दिनों की करें तो विपिन की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर में हुई। बारहवीं के बाद वर्ष 2008 में विपिन ने एयरफोर्स का भी परीक्षा दिया। उनका चयन तो हो गया पर मेडिकल परीक्षण में उनका चयन नहीं हो पाया। फिर वो 2013 में SSC की परीक्षा में सफल होकर SBI बैंक में Cashier के पद पर कार्यरत हुए। इनकी पहली पोस्टिंग मध्य प्रदेश हुई। तभी से विपिन UP-PSC की परीक्षा की तैयारी करने लगे। अंततः विपिन UP-PSC की परीक्षा के मेंस में टॉपर की लिस्ट में शामिल हो ही गए।

विपिन जिन कठिन हालातों से गुजरे उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। सच ही कहा गया है, “कीचड़ में ही कमल खिलते हैं।” आज विपिन पर उनके परिवार, दोस्तों, और उनके समाज को गर्व है। युवाओं के लिए विपिन प्रेरणास्रोत हैं। बाकी युवा भी विपिन से प्रेरित होकर सफलता का परचम लहरा सकते हैं।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

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