हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ जिंदगी की हर खुशी देना चाहते हैं। एक पिता अपने बच्चों के लिए अपनी सारी खुशियाँ कुर्बान कर देतें है, ताकि उसके बच्चों को किसी प्रकार की कोई कमी न हो। आज हम आपको एक पिता और पुत्र के बारे में बताएंगे जिसमे पिता मेहनत करते थे, अपने बेटे की कमी पूरे करने के लिए और बेटा मेहनत करता था, अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए।
कुलदीप द्विवेदी उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले हैं। उनके पिताजी का नाम सूर्यकांत द्विवेदी है। उनके पिताजी लखनऊ विश्वविद्यालय में सिक्योरिटी गार्ड का काम करते थे।

कुलदीप ने अपनी प्राथमिक शिक्षा एवं उच्च शिक्षा अपने गांव के एक सरकारी स्कूल से पूरा किया है। 2009 में कुलदीप ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हिंदी विषय से B.A की डिग्री हासिल किया। B.A करने के बाद कुलदीप ने उसी यूनिवर्सिटी से भूगोल विषय में M.A किया।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कुलदीप UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए, वहां उन्होंने किराए पर एक कमरा लिया और UPSC की तैयारी में जुट गए। उनके पिताजी की मासिक आय 1100 रुपए थी और परिवार में 6 सदस्य थे जिनकी सारी जिम्मेदारी उनके पिता के सैलरी पर ही होती थी।
उनके पिताजी के तनख्वाह में बढ़ोतरी हुई फिर भी वह परिवार के पालन पोषण के लिए कम ही थी। सूर्यकांत जी सिक्योरिटी गार्ड की ड्यूटी करने के बाद कुछ समय निकाल कर खेती भी करने लगे।

सूर्यकांत द्विवेदी अधिक शिक्षित नहीं थे फिर भी वह शिक्षा के महत्त्व को अच्छी तरह से समझते थे। उनके पिताजी सबको कहा करते थे कि मेरा बेटा 1 दिन सरकारी अफसर बनेगा। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण घर से कुलदीप को ज्यादा पैसा नहीं मिल पाता था इसीलिए वह अपना सभी काम अपने रूम पार्टनर के साथ शेयरिंग करके किया करते थे। UPSC परीक्षा की तैयारी करने के लिए वह अपने दोस्तों से किताबे मानकर पढ़ा करते थे।
कुलदीप पहली बार UPSC परीक्षा में असफल रहें, वह प्रिलिम्स परीक्षा में अटक गए थे। वह फिर से UPSC परीक्षा की तैयारी में लग गए। दूसरी बार भी वह UPSC परीक्षा में सफल नहीं हो पाए। वह इस बार मेन्स की परीक्षा में रह गए। कुलदीप लगातार दो बार असफल हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

देखें वीडियो
आखिरकार कुलदीप की मेहनत रंग लाई। वह UPSC की परीक्षा में 242वीं रैंक के साथ सफल हो गए। UPSC में पास होकर इंडियन रेवेन्यू सर्विस में चयनित हो गए। उन्होंने अपने पिताजी का सपना पूरा कर दिखाया। सूर्यकांत द्विवेदी के सारे बच्चे भी पढ़ लिखकर प्राइवेट नौकरी करने लगे जिससे उनके घर की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। लेकिन वह सबसे ज्यादा खुश अपने छोटे बेटे कुलदीप से हैं, क्योंकि उन्होंने उनका सपना पूरा किया है।