बदलते समय के साथ आधुनिक युग की नारी पढ़-लिख कर स्वतंत्र है। वह अपने अधिकारों के प्रति सजग है तथा स्वयं अपना निर्णय लेती हैं। अब वह चारदीवारी से बाहर निकलकर देश के लिए विशेष महत्वपूर्ण कार्य करती है। महिलाएँ हमारे देश की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं। इसी वजह से राष्ट्र के विकास के महान काम में महिलाओं की भूमिका और योगदान को पूरी तरह और सही परिप्रेक्ष्य में रखकर ही राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। महिला की सुरक्षा करना हर मानव का धर्म है। आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जिसने चलते बस में दूसरी महिला के साथ हो रहे छेड़खानी को देख कर IPS बनने का फैसला लिया।
कौन है शालिनी अग्निहोत्री।
हिमाचल प्रदेश के ऊना के छोटे से गांव ठठ्ठल की शालिनी अग्निहोत्री को बचपन में एक बस में महिला के साथ हो रहे छेड़खानी को देखकर उन्होंने तभी सोच लिया था कि बड़े होकर पुलिस में अफसर बनेंगी।उनका सपना सच हुआ और मेहनत कर शालिनी आईपीएस ऑफिसर बन गई।

पुलिस में जाने का विचार कैसे आया?
बचपन में एक बार शालिनी अपनी मां के साथ उसी बस में सफर कर रही थी, जिसमें उनके पिता कंडक्टर थे। एक व्यक्ति ने उनकी मां की सीट के पीछे हाथ लगाया हुआ था। जिससे वे बैठ नहीं पा रही थी।उन्होंने उस व्यक्ति से कई बार कहा पर उसने हाथ नहीं हटाया बल्कि पलटकर बोला तुम कहां कि डीसी हो जो तुम्हारी बात मानें? शालिनी के मन में उसी समय आया कि डीसी क्या होता है और अगर वे डीसी होती तो क्या वह व्यक्ति उनकी बात मान लेता। यह तो थी बचपन की घटना पर शालिनी ने वहां से आकर सब पता किया कि पुलिस में डीसी क्या होता है, उसके क्या अधिकार होते हैं, वो क्या-क्या कर सकता है। बस यहीं से शालिनी के बाल मन ने तय किया कि वे भी बड़ी होकर पुलिस की बड़ी अफसर बनेंगी।
माता-पिता देते रहते है प्रेरणा।
उनके पिता एक बस कंडक्टर हैं और उनकी माँ एक गृहिणी हैं।
शालिनी जिस समाज से ताल्लुक रखती हैं वहां लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने का चलन नहीं है। उनके परिवार में ये अवसर नहीं दिया गया था, और उनमें से अधिकांश का विवाह कम उम्र में ही हो गया था। परन्तु शालिनी के माता पिता ने हमेशा ही उन्हें जीवन में आगे बढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया।

अच्छी शिक्षा हासिल की ।
शालिनी बचपन से ही अपने देखे सपने को पूरा करने में लगी रहीं। शालिनी हमेशा से ही मेहनती छात्र में गिनी जाती थी। स्कूल में उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहता था। उनकी शिक्षा धर्मशाला के DAV स्कूल से हुई है और आगे की पढ़ाई उन्होने हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से की है झन से उन्होने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
UPSC करने का सोचा।
जब उन्होंने UPSC की तैयारी करने के बारे में सोचा तो इसका जिक्र किसी से नहीं किया था। वो जानती थी ये देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है और ऐसे बहुत से लोग हैं जो कई वर्षों की कठिन मेहनत के बाद भी इस परीक्षा को पास नही कर पाते हैं। मगर यहां पर शलिनी के दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास ने उन्हे बहुत हिम्मत दी और मई 2011 में उन्होंने UPSC की परीक्षा दी थी जिसका इंटरव्यू मार्च 2012 में हुआ और परिणाम भी आया।

अव्वल रही परीक्षा में।
UPSC परीक्षा का फ़ाइनल परिणाम आया तो उसमे शलिनी को ऑल इंडिया लेवल पर 285वीं रैंक मिली थी। इसके बाद उनका सफर शुरू हो गया था जब दिसंबर 2012 में हैदराबाद में उन्होने ट्रेनिंग ज्वॉइन की और उनको मिला 148 का बैच, जिसमें वह टॉपर रहीं। शालिनी अपनी मेहनत और लगन के दम पर ना केवल आईपीएस अधिकारी बनी बल्कि ट्रेनिंग (65वां बैच) के दौरान उन्हें सर्वश्रेष्ठ ट्रेनी का खिताब से भी नवाजा गया।