हेल्थ का सीधा रिश्ता डाइट से है। हेल्दी रहने के लिए लोग अब तेजी से ऑर्गैनिक फूड अपना रहे हैं। इसे सेहत के लिहाज से काफी अच्छा माना जाता है। ऑर्गैनिक फूड वे फूड आइट्म होते हैं, जो केमिकल-फ्री होते हैं। इनमें किसी तरह के पेस्टिसाइड्स या रासायनिक खाद इस्तेमाल नहीं होती। इन फल और सब्जियों की उपज के दौरान उनका आकार बढ़ाने या वक्त से पहले पकाने के लिए किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जिन्होंने आर्गेनिक सब्जियों का महत्व समझते हुए उसकी खेती की और सफल हुई। आइये जानते है उस महिला ले बारे में।
गीतांजलि राजमणि का परिचय।
गीतांजलि राजमणि का जन्म हैदराबाद में हुआ था। लेकिन इनका पैतृक घर केरल में था। गीतांजलि अक्सर गर्मियों की छुट्टी में अपने घर केरल जाते थे। इन्होंने अपना आधा बचपन केरल के इन्हीं खेतों और पहाड़ियों में घुमते हुए बिताया था। गीतांजलि ने पौधों के बारे में जानना यहीं से शुरू कर दिया था। गीतांजलि जब दो साल की थीं तब इनके पिता को सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। तब गीतांजलि को उनकी मां और बड़े भाई ने पालन पोषण किया ।

गीतांजलि की शिक्षा।
गीतांजलि ने साल 2001 में उस्मानिया कॉलेज फॉर विमन हैदराबाद से बीएससी किया। फिर इसके बाद साल 2004 में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पांडिचेरी से इंटरनेशनल बिजनेस से एमबीए किया। इसके बाद गीतांजलि ने 12 सालों तक क्लीनिकल रिसर्च इंडस्ट्री में काम किया।

गीतांजलि ने अपना नौकरी छोड़ा।
गीतांजलि ने टीसीएस कंपनी में बतौर ग्लोबल बिजनेस रिलेशनशिप मैनेजर के रूप में काम किया। यहां गीतांजलि ने प्रमुख फार्मा कंपनी का बड़े पैमाने पर हो रहे संचालन का प्रबंधन कर रही थी। इसके बाद इन्होंने साल 2014 में टीसीएस की नौकरी छोड़ दी।

जैविक खेती के तरफ रुख किया।
गीतांजलि को जैविक खेती और गार्डेनिंग करने में काफी रुचि थी। इसके बाद इन्होंने जैविक खेती करना शुरू कर दिया। गीतांजलि को इनके पति और इनके घर वालों ने इस बिजनेस में काफी सपोर्ट की और मदद भी किया।

46 एकड़ में जैविक खेती।
गीतांजलि साल 2017 में पहला खेती करने के बाद अब उन्होंने बेंगलुरु, हैदराबाद और सूरत जैसे बड़े शहरों में 46 एकड़ में जैविक खेती काम कर रहे हैं। साल 2017 के सितम्बर में वीसी फंड वेंचर हाईवे और चार एंजेल इन्वेस्टर से 34.50 लाख रुपए की फंडिंग मिली थी। वॉट्सएप की कोर टीम के मेंबर रहे नीरज अरोरा भी इस एंजेल इन्वेस्टर में शामिल हैं। गीतांजलि का मानना है कि किसानों को जैविक खेती करने के बेहतर तकनीक जैसे कम्पेनियन प्लांटिंग, मल्टी कॉप्रिंग, क्रॉप रोटेशन आदि है। जो मिट्टी के अनुकूल है।

जैविक खेती से सलाना 20 करोड़ रुपए का टर्न- ओवर।
गीतांजलि ने आज इस जैविक खेती से सलाना 20 करोड़ रुपए का टर्न- ओवर कर रही हैं। यह लॉकडाउन में भी काफी तेजी से बढ़ी है। गीतांजलि बताती हैं कि इस आपदा से आज लोग को महसूस हुआ कि जैविक और प्राकृतिक खेती को खोने की कीमत क्या होती है। गीतांजलि ने एक ऐप भी बनाया है। इस ऐप के माध्यम से लोगों को होने डिलीवरी भी उपलब्ध कराते हैं।
अपनी मेहनत और लगन से किसी भी काम मे सफलता हासिल की जा सकती है।