आपने बड़ों को कहते हुए सुना होगा या अपने स्कूल के इतिहास के किताब में पढ़ा भी होगा कि हमारे पूर्वज आदिमानव थे। वह शिकार कर अपना पेट भरते थे और जंगलों में रहा करते थे।
समय के साथ सबकुछ बदल गया। समय बीतने के साथ लोगों में बदलाव हुआ। समय के साथ लोगों के व्यवहार में भी परिवर्तन हुआ। लोगों ने आधुनिक दुनिया की ओर कदम बढ़ाया। शिकार जैसे कार्यों को छोड़ कर खाने के लिए खेती पर निर्भर रहने लगे। एक जनजाति ऐसी भी है जिसका रहन-सहन आज भी वैसा ही है। इस जनजाति का नाम ‘हडजा जनजाति’ है। आइये जानते हैं इसके बारे में।
अपने परंपराओं को सुरक्षित रखा
‘हडजा जनजाति’ आज भी अपनी 10,000 साल पुरानी परंपरा को सुरक्षित रखा हुआ है।इस जनजाति के करीब 1,300 लोग अपनी बाकी सदस्यों के साथ अफ्रीका (Africa) में रहते हैं और यह दुनियां अंतिम शिकारी जनजाति माने जाते है।






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आदिमानव की तरह जीवन
यह जनजाति इयासी घाटी के आसपास की पहाड़ियों में रहते हैं। समय बदलने के साथ-साथ उन्होंने अपने परंपरा को सुरक्षित रखा है, न तो यह किसी जानवर को पालते हैं और न ही यह अपना खाना स्वयं पकाते हैं। इनका रहना, वेशभूषा एवं शिकार करने जैसे आदि कार्य सभी पारंपरिक तरीके का ही है। यह शिकार करने के लिए हथियार का इस्तेमाल अपने हाथ से बनाई गई हथियार का ही करते है।






समय के साथ खुद को नहीं बदला
इन्होंने समय के साथ खुद को नहीं बदला है यह आज भी आदिमानव का जीवन जी रहे हैं। आज हम आपको ‘हडजा जनजाति’ की कुछ तस्वीरें दिखाएंगे जिसे देख कर आपको अपनी स्कूल की इतिहास के पुस्तक में पढ़ी हुई बातें यहां देखने को मिलेगा। हमारे इतिहास के किताब में जैसा आदिमानव के बारे में बताया जाता है, यह अपना जीवन बिल्कुल वैसे ही व्यतीत करते है।
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