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Friday, March 24, 2023

जानिए भारत की पहली AC ट्रेन को कैसे किया जाता था ठंडा? काफी दिलचस्प है इतिहास!

भारतीय रेलवे यात्रियों को उनके मंज़िल तक पहुंचाने का कार्य करती है। भारत में रेलगाड़ी की शुरुआत 1853 में हुई थी। 1934 में भारत में ऐसी (AC) ट्रेन की शुरुआत हुई। यह ट्रेन उस समय शुरुआती दौर में मुंबई (Mumbai) से अफगानिस्तान (Afghanistan) की बॉर्डर पेशावर (Peshawar) तक चलती थी। सबसे बड़ी एवं सोचने वाली बात यह है कि उस समय ऐसी बोगी को ठंडा कैसे किया जाता था? आइए जानते हैं इसके बारे में।

महात्मा गांधी भी करते थे सफर

भारत में ऐसी ट्रेन की शुरुआत 1934 में हुई। उस समय भारत में एयर कंडीशनर नहीं आया था। 1928 में पंजाब मेल (Punjab Mail) नाम से शुरुआत हुई एक ट्रेन में ऐसी कोच जोड़ दिया गया था। 1934 में इस ट्रेन का नाम पंजाब मेल से बदलकर फ्रंटियर मेल रख दिया गया। यह ट्रेन मुंबई से दिल्ली , पंजाब एवं लाहौर होते हुए पेशावर जाती थी। इस ट्रेन को अपना सफ़र पूरा करने में 72 घंटे का समय लगता था। इस ट्रेन में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) एवं नेताजी सुभाषचंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) जैसे नेता एवं ब्रिटिश अधिकारी भी सफ़र किया करते थे।

बेस्ट ट्रेन के खिताब से नवाजा

भारत को आजादी मिलने के बाद यह ट्रेन मुंबई से अमृतसर तक चलने लगी एवं 1996 में इस ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल से बदलकर गोल्डन टेंपल मेल (Golden Temple Mail) रख दिया गया। इस ट्रेन को लंदन के अखबार ‘द टाइम्स’ ने बेस्ट ट्रेन के खिताब से नवाजा। उस समय शुरुआती दौर में ट्रेन की ऐसी बोगी को ठंडा करने के लिए आधुनिक उपकरणों के बजाय बर्फ की सिल्लियों का प्रयोग किया जाता था।

बर्फ की सिल्लियों एवं पंखे की मदद

ऐसी बोगी के नीचे डिब्बों में बर्फ की सिल्लियों को भर कर रखा जाता था एवं पंखा लगा हुआ होता था जिससे बोगी में ठंडक बनी रहे लेकिन बर्फ और पंखे की मदद से पूरी बोगी को ठंडा रखना आसान नहीं था। समय-समय पर बर्फ की सिल्लियों को बदलना पड़ता था। अगले हर रेलवे स्टेशन पर कर्मचारी वहां बर्फ की सिल्लियों को चेक करते थे। इन बर्फ की सिल्लियों को चेक करने के लिए एक अलग कर्मचारी को रखा जाता था। बोगी में टेंपरेचर को नियंत्रण करने के लिए बैटरी से चलने वाला ब्लोअर (Blower) लगाए जाते थे।

मनोरंजन के लिए तरह-तरह के उपाय

शुरुआत में ट्रेन में 6 ऐसी कोंच हुआ करती थी जिसमें 450 लोग सफ़र किया करते थे। ऐसी ट्रेन में बैठ कर सफ़र करने के लिए लोगो की भीड़ उमड़ती थी जिसके वजह से उस समय में भी फर्स्ट एवं सेकेंड क्लास बोगी भी हुआ करता था। ट्रेन में सफ़र करने के दौरान लोग बोर न हो और सफर का आनंद ले सके इसलिए यात्रियों की सहूलियत के लिए उन्हें खाना, पढ़ने के लिए किताबें, मनोरंजन के लिए ताश पत्ते एवं न्यूज पेपर दिया जाता था।

11 महीनों तक लेट ट्रेन

यह ट्रेन अपने समय से कभी भी लेट नहीं हुआ करती थी इसलिए भी लोग इस ट्रेन को जानते थे। 1934 में जब ऐसी बोगी की शुरुआत हुई तब शुरुआत के 11 महीने तक यह ट्रेन लेट हुई। ट्रेन लेट होने की ख़बर सरकार तक पहुंची तब सरकार ने ट्रेन चलाने वाले ड्राइवर पर कार्रवाई करते हुए ट्रेन ड्राइवर को नोटिस (Notice) भी भेजा था।

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Shubham Jha
Shubham Jha
शुभम झा (Shubham Jha)एक पत्रकार (Journalist) हैं। भारत में पत्रकारिता के क्षेत्र में बदलाव लाने की ख्वाहिश रखते हैं। वह चाहते हैं कि पत्रकारिता स्वच्छ और निष्पक्ष रूप से किया जाए। शुभम ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से पढ़ाई की है। वह अपने लेखनी के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करते हैं।

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