विकट परिस्थितियों से लड़ कर आगे बढ़ना ही जीवन का उद्देश्य है। जो व्यक्ति विकट परिस्थिति से घबरा जाता है, वह अपने मुकाम तक नहीं पहुंच सकता। अपने विपरीत परिस्थितियों से लड़ने वाले व्यक्ति ही दुनियाँ के लिए एक मिसाल कायम करते हैं। आज हम आपको एक होनहार व्यक्ति आईएएस शशांक मिश्रा (IAS Shashank mishra) के बारे में बताएंगे, शशांक अपने पिता के मौ’त के बाद परिवारिक जिम्मेदारी निभाते हुए अपने कठिन परिश्रम के बदौलत आईएएस अधिकारी बनने में सफल रहे। (Success story of IAS Shashank mishra)
आईएएस शशांक मिश्रा (IAS Shashank mishra) का परिचय
आईएएस शशांक मिश्रा (IAS Shashank mishra) उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले हैं। शशांक बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होनहार थे। हमेशा अपनी कक्षा में अव्वल आते थे। उन्होंने 12वीं कक्षा की पढ़ाई के साथ-साथ आईटीआई (IIT) की भी तैयारी शुरू कर दिए थे। दुर्भाग्यवश अचानक से उनके पिताजी का देहांत हो गया और उनके एवं उनके परिवार के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उनके पिताजी कृषि विभाग में डिप्टी कमिश्नर थे। इतनी कम उम्र में किसी बच्चे के सर से पिता की छाया उठ जाना बहुत दुख की बात है। उन पर उनकी परिवार की सारी जिम्मेदारी आ गई। अपनी पढ़ाई की फीस भरना भी उन पर भारी पड़ने लगा लेकिन 12वीं में अच्छे अंक प्राप्त होने के कारण कोचिंग की फीस कम कर दी गई।

आईआईटी (IIT) परीक्षा में सफल हुए
शशांक कड़ी से कड़ी मेहनत के बदौलत आईआईटी (IIT) की परीक्षा में 137वीं रैंक प्राप्त कर सफल हुए। इसके आगे उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक इंजिनीयरिंग (Electronic engineering) से B. tech किया। B. tech की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें अमेरिका के मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब मिला। उन्हें इस कंपनी से अच्छे पैकेज की सैलरी मिल रही थी।

जॉब के साथ पढ़ाई करना संभव नहीं हो रहा था
मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने के साथ-साथ शशांक 2004 से UPSC परीक्षा की तैयारी भी करने लगे लेकिन नौकरी करने के साथ-साथ UPSC की तैयारी करना इतना आसान नहीं था। आर्थिक परेशानी शशांक का पीछा नहीं छोड़ रही थी लेकिन उनका इरादा पक्का था। अपने लक्ष्य को कैसे भी पूरा करके ही दम लेने के लिए शशांक ने दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में पढ़ना शुरू कर दिये लेकिन दिल्ली में रूम लेकर रहना उनके बजट से बाहर था। तब वह रोजाना मेरठ से दिल्ली तक का सफ़र करने लगे। सफर के दौरान ट्रेन में जो समय मिलता उसमें वह अपनी पढ़ाई करते और भूख लगने पर बिस्किट खा कर अपना गुजारा करते थे। तकरीबन 2 वर्षो तक उनके जीवन में दुखों का सफ़र चलता रहा लेकिन मेहनत का फल मीठा होता है।

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एलाइड सर्विस में हुआ था चयन
अपने पहले ही प्रयास में शशांक सफल रहे। उनका चयन एलाइड सर्विस में किया गया लेकिन उसका मंजिल तो कुछ और ही था। एलाइड सर्विस में चयन होने के बाद भी वह अपने IAS बनने के सपने के साथ आगे बढ़ते रहे एवं अपने दूसरे प्रयास में UPSC परीक्षा में 5वीं रैंक प्राप्त कर सफल हुए। कहते हैं ना कि मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती एवं सब्र का फल हमेशा मीठा होता है वैसा ही शशांक के साथ भी हुआ। शशांक अपने बुरे वक्त में भी लक्ष्य पर अरे रहे एवं सफलता हासिल करने में सफल रहे।