आज की महिलाऐं किसी पर निर्भर नहीं हैं। वह हर मामले में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बन चुकी हैं। वो पुरुषों के बराबर सब कुछ करने में सक्षम भी हैं। हमें महिलाओं का सम्मान जेंडर के कारण नहीं, बल्कि स्वयं की पहचान के लिए करना होगा। हमें यह स्वीकार करना होगा कि घर और समाज की बेहतरी के लिए पुरुष और महिला दोनों समान रूप से योगदान करते हैं। हर महिला विशेष होती है, चाहे वह घर में हो या ऑफिस में।
वह अपने आस-पास की दुनिया में बदलाव ला रही हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों की परवरिश और घर बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। आज की कहानी एक ही घर के 8 बेटियों की है जो नेशनल प्लेयर हैं। ऐसा नहीं कि इनके पिता के पास अधिक धन होने के कारण इन्हें सभी खेलों का प्रशिक्षण मिला है। ये सभी अपने आप में अव्वल हैं।
खेत को खेल का मैदान बना कर की तैयारी।
यह बेटियां राजस्थान के चुरू जिले के एक गाँव की हैं। इन बेटियों ने अजूबा किया है। वह चौधरी परिवार से है। इन 8 लड़कियों ने एथलेटिक्स में अपनी पहचान बनाई है। ये 8 लड़कियां एक ही परिवार के 3 भाइयों की बेटी हैं। उन्होंने अपने खेत-खलिहान को एक ऐसा मैदान बना दिया, जहाँ इन लोगों ने कड़ी मेहनत की और परिवार के साथ गाँव का नाम रोशन किया। इन 8 बेटियों ने एथलेटिक्स में नाम कमाकर सभी लड़कियों का मनोबल बढ़ाया है। इन्ही के कारण अब ज्यादा से ज्यादा लड़कियां खेलों में अच्छा कर रही हैं और इसकी बदौलत सरकारी नौकरियों से जुड़कर सरकारी नौकरी भी पा रही हैं।
सरोज ने 30 स्वर्ण पदक जीते हैं।
देवकरण चौधरी खेती का काम करते हैं। उनकी बेटी का नाम सरोज है। सरोज पोस्ट ग्रेजुएट हैं। उन्होंने राज्य स्तर पर प्रतियोगिता में 30 से अधिक स्वर्ण पदक जीते हैं। वह लगभग 10 वर्षों से खेलों में सक्रिय हैं। ऐसा नहीं है कि सरोज अब परिवार की देखभाल कर रही हैं, बल्कि राजस्थान में पुलिस कांस्टेबल के रूप में लोगों की देखभाल कर रही है।

सुमन जो एक राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स खिलाड़ी हैं।
सुमन चौधरी भी देवकरण जी की ही बेटी हैं। वह सरोज से बड़ी है। इन्होंने एमए तक की शिक्षा ग्रहण की है। सरोज राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स में अपने हुनर को दिखा चुकी हैं।

कमलेश जिसने 6 बार राज्य स्तर पर पदक जीते हैं।
कमलेश चौधरी भी देवकरण जी की बेटी हैं। उन्होंने स्नातक किया है। कमलेश एक राज्य और राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रही हैं। उन्होंने 6 बार राज्य स्तर पर पदक जीतकर अपने परिवार का नाम रोशन किया है। अब वे पुलिस कांस्टेबल के रूप में अपना काम संभाल रही हैं।

कैलाश कुमारी जो सीआईडी में हैं कांस्टेबल।
कैलाश के पिता का नाम शिशुपाल चौधरी है। उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की है। कैलाश भी अपनी बहनों की तरह राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं। वह अब सीआईडी में एक कांस्टेबल के रूप में काम कर रही है।

सुदेश जो पुलिस कांस्टेबल हैं।
सुदेश शिशुपाल जी की बेटी हैं और स्नातक तक पढ़ीं हैं। सुदेश भी अपनी बहनों से कम नहीं है। उसने राज्य स्तर पर एथलेटिक्स की प्रतियोगिता में भी भाग लिया है। वर्तमान में वो एक पुलिस कांस्टेबल हैं।

निशा जो 20 पदक जीत चुकी हैं।
निशा शिशुपाल जी की बेटी हैं। उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लिया है। यही नहीं, निशा ने राज्य स्तर पर 20 पदक भी जीते हैं।

पूजा जो 5 मेडल जीत चुकी हैं।
पूजा शिशुपाल जी की बेटी है। उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई भी की है। पूजा ने राज्य स्तर पर 5 पदक भी जीते हैं।

सुमित्रा जो आरएसी में कांस्टेबल हैं।
सुमित्रा रामसवरूप जी की बेटी हैं। उन्होंने बी.एड. तक की शिक्षा ग्रहण की है और राज्य स्तर पर भी खेल चुकी हैं। उन्होंने 2 पदक भी जीते हैं। सुमित्रा आरएसी में कांस्टेबल के रूप में काम करती हैं।

आज की बेटियों को इन सभी बहनों से प्रेरणा लेने की जरूरत है।