इस बात से कभी भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि नए भारत मे अभी भी बहुत सारी ऐसी बुराइयां है जिनकी वजह से भारत को आज भी दुनिया के मंच पर लज्जित होना पड़ता है। उन्ही बुराइयों में दहेज भी है। विवाह के समय लालची लोग अपने बेटे को धन पाने का एक स्रोत समझते हैं और लड़की वालों से मुंह मांगा दहेज वसूलते है।
जिसके कारण मध्यम वर्ग के लोग लड़कियों को जन्म लेने के बाद से ही बोझ समझने लगते है। माता-पिता को अपने बेटी की अच्छे भविष्य से अधिक चिंता दहेज जुटाने की होने लगती है।
लेकिन एक कहावत है कि”जैसे हाथ की पांचों उंगलियां एक समान नहीं होती, ठीक वैसे ही जरूरी नहीं कि समाज में सभी लोग एक ही तरह की सोच रखें। हम आज एस लेख के द्वारा एक ऐसे पिता की कहानी बताने जा रहे हैं जिनका नाम बृजमोहन मीना(BrijMohan Meena) है। जिन्होंने अपने बेटे की शादी में मिली लाखों रुपए की राशि लौटा कर मात्र 101 रुपये अपने पास रखते हुए दहेज के लालची लोगों के लिए उदाहरण पेश की है।
बृजमोहन मीणा का त्याग दहेज के लालची लोगो के लिए उदाहरण बन गया है
आज के इस दहेज लोभी समाज मे आपने बहुत ही कम ऐसी घटना सुनी होगी। जिसमें बेटे के पिता ने दहेज के तौर पर दी गई लाखों रुपए की राशि लेने से इनकार कर दिया हो। लेकिन ठीक ऐसा ही हुआ है है, राजस्थान के बूंदी जिले के पीपरवाला गांव (pipar wala village in Bundi, district Rajasthan) के रहने वाले रिटायर्ड प्रिंसिपल बृजमोहन मीणा के बेटे की शादी के दौरान।

शिक्षक पिता ने 11 लाख 101 की दहेज की राशि को वापस किया
मीडिया वालों का कहना है कि-दरअसल बृजमोहन मीणा अपने बेटे रामधन मीणा के सगाई के सिलसिले मे टोंक जिले के उनियारा तहसील मे स्थित मंडवारा पंचायत के सोलन पुरा गांव में पहुंचे थे। इस कार्यक्रम के बीच समाज के बीच मे घर कर चुकी दहेज प्रथा के अनुसार लड़की के पिता ने 11 लाख 101 रुपए नगद के साथ भगवान गीता भेंट के रूप मे सजाकर लड़के के पिता बृजमोहन मीणा को दी, लेकिन दूल्हे के पिता बृजमोहन मीणा ने ये 11 लाख रुपए लेने से मना कर दिया।
शुरू में डरे थे, दुल्हन आरती के पिता
थाल में भेंट के तौर पर दिए गए 11 लाख रुपयों को जब बृजमोहन मीणा ने लेने से इंकार कर दिया तो तो दुल्हन के पिता राधेश्याम यह सोच कर डर गए कि कहीं समधी को यह रकम कम तो नहीं लग रही है और वह अधिक पैसे मांगने वाले है, इसीलिए उन्होंने दहेज लेने से मना कर दिया।

बृजमोहन के इस निर्णय से सबकी आंखें भर आई
बृजमोहन मीणा ने जब दहेज की 11 लाख रुपए नहीं लेने का कारण बतलाया तो कार्यक्रम में शामिल मेहमानों के आंखों में पानी भर आई, उन्होंने लोगों को बतलाया कि”उनका परिवार दहेज प्रथा के खिलाफ है।
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ससुर के इस फैसले से दुल्हन आरती भी खुश है।
दुल्हन आरती पिता सामान अपने ससुर के इस फैसले से न केवल काफी खुश हैं बल्कि इसे अपना सौभाग्य समझती है, कि उसका शादी एक ऐसे परिवार में हुआ है। जो दहेज प्रथा के खिलाफ है और वह अपने ससुर को इस समाज के लिए आदर्श मानती है।

समधी का दहेज ना लेना हमारे लिए प्रेरणा है: प्रभु लीला मीणा
आरती के दादा लीला मीणा का कहना है कि समधी का दहेज न लेना हमारे लिए एक प्रेरणा है। यह टोंक, बूंदी और सवाई माधोपुर जिले मे पहला मामला है, जिसने पूरा समाज को सिखलाया कि सभी को इसे अपनाना चाहिए