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Wednesday, March 22, 2023

पिता थे चपरासी, गरीबी में गुज़री ज़िन्दगी, निरंतर और कठिन प्रयास से बने IPS अफसर

इंसान अगर कुछ करने का ठान ले तो कुछ भी कर सकता है। लाख मुसीबतें आने पर भी वह अपने परेशानियों का सामना कर एक सफल इंसान बन सकता है। ये सब करने के लिए बुलंद हौसले और मजबूत इरादे का होना जरूरी है। हमारे देश में बहुत लोग अशिक्षित होने के कारण गरीबी का सामना कर रहे हैं। जरूरी नहीं है कि जिसके माता-पिता अशिक्षित हो और अपना जीवन किसी तरह व्यतीत करते हो उनके बच्चे भी वही करेंगे। अब हर माता-पिता अपने बच्चे को पढ़ाकर अफ़सर बनाना चाहते हैं।

आज हम एक ऐसे ही मेहनती बच्चे के बारे में जानेंगे जो अपने माता-पिता के गरीबी को देखते हुए दिन-रात एक करके पढ़ाई में जुटे रहे और आईपीएस ऑफिसर बनकर अपने माता पिता का सपना साकार किये और अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारे। IPS नुरुल हसन उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के रहने वाले हैं। नुरुल का जीवन बहुत ही गरीबी में बीता है। उनको बहुत से अभावों का सामना करना पड़ा। वे कभी भी अपने गरीबी को लेकर ज़िन्दगी में आगे बढ़ने से हार नही माने। नुरुल पूरी मेहनत से पढ़ाई करते थे। उनके पिताजी एक चपरासी थे।

पिताजी की आमदनी बहुत ही कम थी इसलिए उनके पास इतने पैसे नहीं होते थे कि घर के सभी बच्चों की जरूरतें पूरी कर सके। उनके पिता जैसे-तैसे करके अपने परिवार का भरण पोषण करते थे और दो वक्त की रोटी मुहैया कराते थे। उनके पिता की आमदनी से उनको सिर्फ बेसिक शिक्षा ही मिल पाती थी पर उन्होंने कभी इस बात का शिकायत अपने परिवार से नहीं की। नुरुल बहुत कम आयु के थे जब उन्होंने घर संभालने में अपने पिता की मदद करना प्रारंभ कर दिया।

नुरुल अपने जीवन में बहुत सारी परेशानियों का सामना किए, अपने दोस्तो को देखते हुए नुरुल यूपीएससी परीक्षा में पास कर सिविल सेवा में जाने का निश्चय कर लिये। वो सोचते थे कि अगर वह सिविल सेवा में चले जाएंगे तो उनके साथ-साथ उनके पूरे परिवार के लोगों का जीवन सुधर जाएगा। नूरुल बताते हैं कि वो जिस स्कूल में पढ़ते थे उस स्कूल में किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। स्कूल की हालत बहुत ही खराब थी। जब बारिश होती थी तो स्कूल के छत से पानी टपकता था। ऐसी स्थिति में भी वो वहां बैठकर पढ़ाई करते थे। नुरुल कहते हैं कि वह अपने अध्यापकों का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं जिन्होंने कड़ी मेहनत करके ऐसी परिस्थिति में भी उनको पढ़ाया और उनका बेसिक बहुत ही अच्छा कराया।

बात यदि अंग्रेजी की करें तो नूरुल 5वीं कक्षा में A, B, C, D सीखे थे। इस वजह से 12वीं तक उनकी अंग्रेजी बहुत ही खराब रही। फिर उन्होंने वह अपने इंग्लिश को इंप्रूव करने के लिए लगातार मेहनत करने लगे। बहुत दिनों बाद नूरुल के पिताजी की बरेली में फोर्थ क्लास के पद पर एक कर्मचारी की नौकरी मिली उस समय नुरुल 10वीं पास कर चुके थे और उन्हें 11वीं में दाखिला लेना था। उनके पिताजी की सैलरी बहुत कम होने की वजह से परिवारिक और आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब चल रही थी। स्थिति खराब होने की वजह से उनके पिताजी को 70 हज़ार रु में बहुत ही साधरण जगह मलिन बस्ती में एक छोटा सा घर लेना पड़ा था ताकि उनको महीने का किराया नहीं देना पड़े और बच्चों को भी पढ़ाई करने में सुविधा हो। उसी बस्ती के पास के एक विद्यालय में नुरुल ने 11वीं कक्षा में दाखिला लिया और 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की।

नूरुल ने अपने दोस्तों के साथ बीटेक के इंट्रेस एग्जाम देने का सोचा लेकिन उसकी कोचिंग के लिए पैसे उसके पास नहीं थे। कोचिंग की फीस भरने के लिए पैसे ना होने के कारण उनके पिताजी को अपनी गांव की जमीन बेचनी पड़ी ताकि नूरुल की फीस भर सके। नुरुल ने बीटेक में एडमिशन कराया। नूरुल का चयन आईआईटी में कोचिंग ज्वाइन करने के बाद भी नहीं हुआ परंतु नूरुल अपने इस असफलता से हार नहीं माने और अपनी जिंदगी में आगे बढे। नूरुल ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) की परीक्षा पास होकर वहाँ दाखिला लिया। नूरुल ने AMU से बहुत ही कम फीस में बीटेक की पढ़ाई पूरा किया।

नूरुल अपनी जिंदगी का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा AMU के समय को मानते है क्योंकि नूरुल को वहाँ रह कर बोलने, बैठने, सही ढंग के कपड़े पहनने इत्यादि जैसी बहुत बातें सीखने को मिली और बीटेक करने के दौरान ही वो UPSC एग्जाम देने का निश्चय किये। नूरुल बीटेक करने के बाद कंपनी ज्वाइन करना शुरू कर दिए थे जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधर सके और उनके छोटे भाई बहनों को पढ़ाई में खर्च करने के लिए रुपए मिल सके। नूरुल एक कंपनी में काम करने के साथ ही भाभा में इंटरव्यू दिए जहां 200 प्रतिभागियों का ही चयन डेढ़ लाख प्रतिभागियों में से हुआ। नूरुल का चयन उन 200 में हो गया। नूरुल अब 1st क्लास के ऑफिसर बन गये। नूरुल के परिवार की सारी समस्याएं खत्म होने लगी थी लेकिन नुरुल का निश्चय यूपीएससी का एग्जाम देना था और यह बात उनके दिमाग से निकल नहीं रही थी।

नूरुल ने नौकरी के साथ-साथ यूपीएससी की परीक्षा देने की तैयारी शुरू कर दी। शुरू में तो उन्होंने कोचिंग ज्वाइन करने का सोचा पर बहुत ज्यादा फीस होने के कारण जॉइन नहीं किये। तब उन्होंने सेल्फ स्टडी करना शुरू किया। एक प्रयास में तो नूरुल इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गए, लेकिन चयनित नही हो पाए। सिलेक्शन ना होने की वजह से लोग उन्हें तरह-तरह का बातें कहने लगे, हतोत्साहित करने लगे। कितने लोगों ने तो यह भी कहा कि तुम मुस्लिम हो इसीलिए तुम्हारा सिलेक्शन नहीं हुआ और आगे भी नहीं होगा। पर उन्होंने लोगों की बेतुकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपनी कोशिश जारी रखी।

देखें उनके इंटरव्यू का वीडियो

बार बार मिल रही असफलता से न घबराते हुए नुरुल प्रयास करते रहें और अंततः नूरुल ने यूपीएससी की परीक्षा पास की और पास करके आईपीएस के पोस्ट पर तैनात हुए। नूरुल बताते हैं कि जिंदगी में बड़ी से बड़ी परेशानियां क्यों ना आए लेकिन उसका डटकर सामना करना चाहिए। आपकी कामयाबी को असफलताएं नहीं रोक सकती। अगर आप में सफल होने का जुनून है तो आप सफल जरूर होगे। ऐसी छोटी-मोटी समस्याएं आपको अपके मंजिल को पाने में बाधा नहीं बन सकती। नूरुल हसन की ये प्रेरणादायक सक्सेस स्टोरी हमें आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करती है। इससे हमे यही सीख मिलती है कि अमीर-गरीब, जात-पात, हमारा धर्म या कोई भी समस्या हमे आगे बढ़ने से नही रोक सकती। अगर हमने मेहनत की है तो उसका फल भी हमे ही मिलेगा। बस हमें निरंतर कोशिश करते रहना चाहिए।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

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