मेहनत से ही सफलता मिलती है।बिना मेहनत किए कुछ भी हासिल नही किया जा सकता। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके पास सबकुछ होता है पर वह मेहनत करना नही चाहते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास कुछ नही होता फिर भी वह अपने मेहनत के बदौलत सफलता पा ही लेते हैं।
आज हम आपको एक ऐसे ही इंसान के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने मेहनत की बदौलत पटवारी से आईपीएस बनाने तक का सफर तय किया। इस इंसान का नाम प्रेमसुख डेलू (IPS PremSukh Delu) है जिन्होंने आईपीएस बनकर अपने सपने को पूरा किया।
गरीबी में बिता बचपन
प्रेमसुख डेलू का जन्म राजस्थान (Rajasthan) के बीकानेर जिले के रासीसर गांव में हुआ था। प्रेम सिंह का बचपन काफी परेशानियों भरा था। बचपन में उन्होंने बकरी चराने का भी काम किया। उनके घर में उनसे पहले कोई स्कूल तक नहीं गया था। उनके परिवार के पास ज्यादा जमीन भी नहीं थी, इसलिए उनके पिता अपने बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए ऊंट-गाड़ी चलाते थे और लोगों का सामान एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते थे।

गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके है प्रेमसुख
उन्होंने अपनी पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल (Government School) से पूरी की। जिसके बाद उन्होंने कॉलेज की शिक्षा बीकानेर के राजकीय डूंगर कॉलेज से प्राप्त की। उन्होंने इतिहास विषय में एम.ए किया और कॉलेज में गोल्ड मेडलिस्ट (Gold Medalist) रहे।

पढ़ाई में काफी होशियार थे डेलू
जब वह छठी क्लास में आए तो पहली बार उन्होंने अंग्रेजी भाषा को जाना। डेलू बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज़ थे। घर के हालात देखते हुए वो चाहते थे कि उन्हें किसी भी तरह सरकारी नौकरी मिल जाए ताकि वो अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार उनका भार उठा सकें।

पटवारी की नौकरी मिली
स्नातक करने के बाद उन्होंने सरकारी नौकरी का फॉर्म भरना शुरू कर दिया और उन्होंने परीक्षा (Exam) की तैयारी शुरू कर दी। वो दिन-रात पढ़ाई करते ताकि वो परीक्षा में सफल हो सके। साल 2010 में उन्होंने पटवारी की परीक्षा पास की। लेकिन उन्हें अभी आगे बहुत कुछ करना था।

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आईपीएस तक का सफर
पटवारी के बाद वह ग्राम सेवक बने। ग्राम सेवक बनने के बाद वो थर्ड ग्रेड टीचर बने, फिर 2nd क्लास टीचर बने। पढ़ाई को लेकर उनका हौसला जारी रहा। उन्होंने असिस्टेंट जेलर की परीक्षा भी पास की। वो असिस्टेंट जेलर बने फिर स्कूल लेक्चरर, फिर असिस्टेंट कमांडेंट बन गए। लेकिन इसके बाद भी पढाई का सिलसिला जारी रहा। इसके बाद उन्होंने आरएस क्लीयर की और साल 2016 में आईपीएस भी बन गए। आज वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं।
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