यदि हम सूझबूझ से काम करें तो कई बार सुपरमैन वाला काम भी कर सकते हैं। कुछ ऐसा ही किया है उरई के वासुदेव जी ने। आईए जानें पूरी ख़बर….
सिरोहा से जबलपुर जाने वाली ट्रेन जबलपुर हजरत निजामुद्दीन गोंडवाना एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से चल रही थी। उरई स्टेशन के पास से गुजर रहे व्यक्ति वासुदेव ने देखा कि थोड़ी दूर पर पटरी टूट गई है और उसी पटरी पर सामने से ट्रेन अपनी तेज रफ्तार से आ रही है।

ऐसी स्थिति में उन्हें स्कूल में पढ़ी हुई बात आई कि लाल रंग का कपड़ा दिखाने से ड्राइवर ट्रैन रोक देते हैं। उनके पास उस समय कोई लाल कपड़ा तो नहीं था लेकिन उनकी टीशर्ट गुलाबी रंग की थी। उन्होंने आव देखा न ताव अपनी गुलाबी रंग की टी-शर्ट खोलकर ट्रेन रोकने का प्रयास करने लगे। उस व्यक्ति की गुलाबी टी-शर्ट को देखते ही लोको पायलट को स्थिति समझ में आ गई और ट्रेन की रफ्तार कम हो गई लेकिन जब तक ट्रेन रुकी तब तक 10 डिब्बे उस टूटी पटरी को पार कर चुके थे। चूँकि ट्रैन की रफ्तार काम कर दी गयी थी इस लिए ट्रेन क्षतिग्रस्त होने से बच गई।
इस घटना की जानकारी सिहोरा, करनी मैहर और सतना स्टेशन को दी गई। सभी कर्मचारी अलर्ट हो गए और इस पटरी से गुजरने वाली सभी ट्रेनों को रोक दिया गया। सिहोरा के टेक्नीशियनों ने घटनास्थल पर पहुंचकर पटरी को ठीक करने का काम शुरू कर दिया। एक घंटे में ही सुधार कार्य संपन्न हो गया, उसके बाद ट्रेनों का आवागमन फिर से शुरू कर दिया गया।

जिस सूझबूझ का परिचय वासुदेव जी ने दिया वह वाकई काबिलेतारीफ है। उनकी ससमय लिए गए उस फैसले के वजह से ही हज़ारों ज़िंदगियाँ बच पाई। हम वासुदेव जी की बहादुरी की प्रशंसा करते हैं। आप भी इस पोस्ट को शेयर करके उनका हौसला ज़रूर बढ़ाएं।