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Tuesday, June 6, 2023

तमिलनाडु के जयगणेश जी का जीवन प्रेरणा से भरा है। एक बार जरूर पढ़िए।

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। लगातार कोशिश करते रहने से सफलता मिलना तय है। आज हम एक ऐसे शख्स के बारे में जानेंगे जिन्होंने लगातार प्रयास करके आईएएस का पद प्राप्त किया।

जयगणेश तमिलनाडु के वेल्लोर जिले के विनवमंगलम नामक एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। उनके पिताजी 10वीं कक्षा तक ही पढ़े हैं। उनकी माँ एक गृहणी थीं। जयगणेश अपने भाई बहनों में सबसे बड़े हैं। जयगणेश बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने अपने गांव के स्कूल में आठवीं तक की पढ़ाई पूरी की और फिर पास के शहर से अपनी बाकी की स्कूली शिक्षा पूरी की। जयगणेश बचपन से ही पढ़ाई में अच्छे थे और हमेशा प्रथम स्थान पर रहा करते थे।

जल्द से जल्द नौकरी पाना ही उनके जीवन का प्रथम लक्ष्य था जिससे वो अपने पिता की परिवार चलाने में मदद कर सकें। उन्होंने दसवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद पॉलिटेक्निक कॉलेज ज्वाइन कर लिया क्योंकि उनको किसी ने बताया था कि पॉलिटेक्निक करने के बाद तुरंत ही नौकरी लग जाती है। उन्होंने पॉलिटेक्निक में भी शानदार प्रदर्शन जारी रखा और 91% नम्बर से पास हुए। पॉलिटेक्निक करने के बाद उन्होंने गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया और वहां से उन्होंने मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। उनके पिताजी हमेशा उनको पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते थे और उनका साथ देते थे।

उन्होंने साल 2000 में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और फिर नौकरी की तलाश में बेंगलुरु चले गए। वहाँ उन्हें बिना किसी कठिनाई के 2,500 रूपये की नौकरी लग गई। वो जब बेंगलुरु में नौकरी कर रहे थे तब वो अपने गांव के गरीब लोगों के बारे में सोचा करते थे। वे अपने गांव के गरीब लोगों की मदद करना चाहते थे। मदद की प्रवृत्ति होने के कारण उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने का प्रण कर लिया। अपने इस प्रण के लिए उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में लग गए। जयगणेश परीक्षा की तैयारी करने के लिए अपने गांव चले गए। उनके पिताजी ने उन्हें अध्ययन की सामग्री खरीदने के लिए पैसे दिए और खूब आशीर्वाद दिया और उनका समर्थन किया।

शुरू में जयगणेश अच्छी तैयारी नहीं कर पाए और पहले दो प्रयासों में असफल रहें। असफलता से निराश जयगणेश ने अपने एक मित्र के कहने पर समाजशास्त्र को अपने वैकल्पिक विषय के रूप में लिया लेकिन फिर भी वह सफल नहीं हो सके। तब उनको चेन्नई में सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक कोचिंग के बारे में पता चला। वो उस कोचिंग में चयनित हो गए। उन्हे वहां रहने के लिए घर दिया गया और प्रशिक्षण के दौरान खाने के लिए भोजन भी मिलता था। प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद उन्हें कमरा खाली करना पड़ा। लेकिन उन्होंने चेन्नई में ही रहने का फैसला किया। पैसे की कमी के चलते उन्होंने कैंटीन में बिलिंग क्लर्क का पार्ट टाइम जॉब भी किया।

जयगणेश 5 बार प्रारंभिक में असफल रहे। 6ठी प्रयास में वो साक्षात्कार में असफल रहे। लगातार 6 प्रयासों में असफल रहने पर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मेहनत करते रहें। उन्होंने अपने अंतिम प्रयास के लिए जीतोड़ मेहनत की और प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा, दोनों में उत्तीर्ण हो गए। साक्षात्कार में उनसे विभिन्न समसामयिक विषयों से प्रश्न पूछे गए जिनका उन्होंने पूरे आत्मविश्वास से उत्तर दिया। आखिरकार उन्हें अपने मेहनत का फल मिला। वो सफल रहें। उन्हें 156वीं रैंक हासिल हुई और वो भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हो गए।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

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