विश्व में काफी युद्ध हुए है। विश्व भर में युद्ध के इतिहास की बात करें तो विभिन्न कारणों के कारण अबतक दो देशों के बीच कई युद्ध हुए हैं।
पर आज हम आपको एक अलग ही युद्ध के बारे में बताएंगे। जिसके बारे में जानकर आपको बड़ा ही आश्चर्य होगा। इस युद्ध का कारण बस एक बाल्टी था। चलिए जानते है की एक बाल्टी के लिए दो देशों के बीच युद्ध कैसे और क्यों हुआ।
दो देशों के बीच युद्ध की शुरुआत
एक बाल्टी के लिए ये लड़ाई आज से तकरीबन 7 सौ साल पहले इटली में लड़ी गई थी। ये ऐतिहासिक घटना 1325 की है। उस समय इटली में धार्मिक तनाव का माहौल था। दो राज्य आपस में काफी समय से लड़ रहे थे। इसमे एक राज्य बोलोग्ना और दूसरा मोडेना राज्य शामिल थी। बोलोग्ना को ईसाई धर्मगुरु पोप का समर्थन था। इसके चलते वहां के लोगों का मानना था कि पोप ही ईसाई धर्म के सच्चे गुरु हैं। पर मोडेना इसको नही मानता था।

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बाल्टी के कारण क्यों हुई युद्ध
लकड़ी के बाल्टी को लेकर महा युद्ध की शुरूआत सन् 1325 में हुई। दरअसल मोडेना के कुछ सैनिक खुफ़िया तरीके से बोलोग्ना के क़िले में घुस गये और एक लकड़ी का बाल्टी चुराकर चले गए। कहा जाता है कि वह बाल्टी हीरे जवाहरात से भरी हुई थी। बाल्टी चोरी की बात का पता लगने के बाद बोलोग्ना के सैनिकों ने मोडेना से वापिस देने की बात कही। लेकिन मोडेना ने बाल्टी वापिस करने से साफ इंकार कर दिया। इसके बाद बोलोग्ना ने युद्ध की घोषणा कर मोडेना पर हमला कर दिया।
युद्ध में काफी सैनिक मारे गए
वह बाल्टी दोनों राज्यों की नाक बन गई। दोनों में कोई झुकने वाला नही था। उस समय बोलोग्ना के पास करीब 32 हजार सेना थी। जबकि मोडेना के पास मात्र 7 हजार सैनिक थे। दोनों राज्यों के बीच भयंकर खूनी युद्ध हुआ। हालांकि कम सैनिक होने के बावजूद इस महा युद्ध में मोडेना की जीत हुई। युद्ध में 2 हजार से भी अधिक सैनिक मारे गए थे।

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बाल्टी को म्यूजियम में रखा गया
जिस बाल्टी के कारण इतना भयंकर युद्ध हुआ। इतने सैनिक मारे गए। दो देशों के बीच तनाव बढ़ा उसे अब म्यूजियम में रखा गया है। इन दोनों देशों के युद्ध के बारे में जब लोग सुनते है तो बाल्टी देखने के लिए काफी उत्सुक रहते हैं। म्यूजियम में यह बाल्टी आकर्षण का केंद्र बना रहता है। बोलोग्ना और मोडेना के बीच हुई इस लड़ाई को ‘वॉर ऑफ द बकेट’ या ‘वॉर ऑफ द ऑकेन बकेट’ के नाम से जाना जाता है।