‘होनहार बिरबान के होत चिकने पात’ अर्थात होनहार बालक की छवी पलने में ही दिख जाती है।
हम जब भी ऐसे बच्चों को देखते हैं तो समझ जाते है की यह बालक आगे चलकर कुछ अच्छे कार्य करेगा, नाम रोशन करेगा और हमेशा प्रगति की राह पर बढ़ता रहेगा। कुछ ऐसा ही कार्य किया है सर्वोदय बाल विद्यालय में पढ़ने वाले राजन ने। राजन ने कबाड़ रॉयल एनफील्ड को ई-बुलेट में तब्दील कर दिया है। आइये जानते है इसके बारे में।
राजन ने बनाया ई-बुलेट
राजधानी दिल्ली के सुभाष नगर स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय में पढ़ने वाले 15 वर्षीय छात्र राजन ने एक ऐसा कारनामा किया है जिसकी जमकर सराहना की जा रही है। राजन ने कबाड़ रॉयल एनफील्ड को ई-बुलेट में तब्दील कर दिया है। राजन को कबाड़ से चीजें बनाने का काफी शौक पहले से ही था। अब राजन के इस कारनामे को देखकर हर कोई आश्चर्य चकित है।
कबाड़ के कलपुर्जों का किया उपयोग
राजन ने इस बुलेट के निर्माण में कबाड़ के कलपुर्जों का उपयोग किया है। इससे पहले लॉ’कडाउन के दौरान राजन ने ई-साइकिल बनाने का भी प्रयास किया था जिसमें राजन को असफलता हाथ लगी। पर इन तमाम चीजों से राजन कभी भी विचलित नही हुए और इन्होंने यह नया कारनामा कर के दिखाया है।
घरवालों से झूठ बोला
राजन ने अपने ई-बुलेट बनाने के दौरान घरवालों से झूठ बोला। उन्होंने अपने घरवालों को बताया था कि उनके स्कूल में ई-बुलेट बंनाने का एक प्रोजेक्ट मिला है। जिस प्रोजेक्ट उन्हें काम करना है। घरवालों को झूठ बोलने की नौबत इसलिए आई क्योंकि राजन जब ई-साइकिल को बनाया था तो वह इसकी सवारी करते वक्त गिरकर बेहोश हो गए थे। तब राजन के पिता दशरथ शर्मा उनपर बहुत गुस्सा हुए थे और उन्होंने राजन को ऐसे चीज बनाने से मना कर दिया था।

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राजन के पिता ने की मदद
राजन के पिता एक प्राइवेट कंपनी में काम करते है। जब उन्हें पता चला कि उनके बेटे के स्कूल में यह प्रोजेक्ट मिला है तो उन्होंने पैसों के अभाव होते हुए भी अपने दोस्त से रुपये लेकर राजन की मदद की। राजन के पिता ने 10 हजार रुपये में काफी मेहनत के बाद एक पुरानी रॉयल एनफील्ड राजन के प्रोजेक्ट के लिए दी। रॉयल एनफील्ड मिलने के बाद लगभग 3 महीने में राजन का ई-बाइक बन कर तैयार था।
राजन का लक्ष्य ई-कार बनाना
राजन के पिता को अब अपने बेटे के उपलब्धि पर नाज है। उन्हें जब यह पता चला की उनके बेटे ने ई-बाइक तैयार कर दी है तो वो अपने बेटे पर काफी खुश हुए। वहीं राजन ने भी इसे बनाने में काफी मेहनत की है। इस ई-बाइक की स्पीड 50 किलोमीटर प्रति घंटा है। वहीं हाइवे पर इसे अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ाया जा सकता है।बाइक चलाते वक्त बैटरी गिर ना जाए, इसके लिए उसके बाहर लकड़ी का बॉक्स फिक्स किया गया है।
राजन ने गूगल से जानकारी इकट्ठा करके इसे नया रूप दिया है। भविष्य में राजन ई-कार बनाना चाहते हैं।