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Wednesday, May 31, 2023

“आँखों का देवता” कहलाता है ये डॉक्टर, कर चुके हैं 1 लाख से भी ज्यादा सर्जरी

अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन जो दूसरों के लिए जीता है उसे ही सही मायने में मनुष्य कहा जाता है।

इस बात को साबित करते हैं नेपाल के रहने वाले डॉ. संदुक रुइत जिन्हें नेपाल के लोग आँखों का भगवान मानते हैं। डॉक्टर संदूक रूइत की मेहनत और लगन का ही परिणाम है कि विदेशी होने के बाद भी भारत सरकार ने उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मश्री सम्मान से समानित किया है। आइए जानते हैं उनके बारे में।

अभावों में बीता था बचपन

डॉ. संदूक रुइत(Sanduk ruit) पूर्वी नेपाल के ताप्लेजुंग जिले की पहाड़ियों के बीच ओलांगचुंग गोला नामक गांव के रहने वाले हैं। उनका बचपन काफी अभावों के बीच गुजरा था। संदूक रूइत को अपने स्कूल पैदल चलकर जाने में एक हफ्ते से ज्यादा का वक्त लगता था। स्कूल ही नहीं, आसपास स्वास्थ्य केंद्र नाम की भी कोई सुविधा नहीं थी। उनके माता-पिता भी अनपढ़ थे, लेकिन उन्होंने संदूक रूइत जी की पढ़ाई में किसी तरह की कमी नहीं होने दी।

दार्जिलिंग पढ़ने को भेजा

संदूक रुइत के परिवार ने उनको दार्जिलिंग पढ़ने भेज दिया, क्योंकि दार्जिलिंग ही उनके गांव से सबसे नजदीक था। संदूक रूइत अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। जब वो 17 साल के हुए थे उसी समय क्षय रोग के कारण उनकी बहन की मौत हो गई थी। बहन की मौत से संदूक रुइत टूट गए।(Sanduk ruit hospital) लेकिन उन्होंने खुद को संभाला और डॉक्टर बनने का प्रण किया

गुरू की सलाह काम आई

दार्जिलिंग में स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका चयन लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में हो गया। डॉक्टरी में स्नातक पूरा करने के बाद वो दिल्ली आ गये और फिर यहां स्थित एम्स से उन्होंने नेत्र रोग विज्ञान में तीन वर्षीय कोर्स करके विशेषज्ञता हासिल की।(God of sight of the world) 1980 में पच्चीस वर्ष की आयु में एक नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर बन गए। उनके गुरु फ्रेड ने उन्हें एक गुरु की तरह करियर से जुड़ी सलाह दी। वो उनसे प्रभावित हुए और उनके साथ ऑस्ट्रेलिया गए, जहां सिडनी के प्रिंस ऑफ वेल्स अस्पताल में चौदह महीनों तक अध्ययन किया।

काफी जानकारी इकट्ठा की

उन्होंने वहां पर मोतियाबिंद ऑपरेशन की सबसे उन्नत तकनीक के बारे में जानकारी एकत्र की। यह तकनीक प्रत्यारोपित अंतः क्रियात्मक लेंस पर आधारित थी। लेकिन इस तकनीक की सबसे बड़ी दिक्कत थी कि वह बहुत महंगी थी। वो लोगों को सस्ता इलाज मुहैया कराना चाहते थे इसलिए उन्होंने कई वर्षों तक मेहनत की। आखिरकार उन्हें सफलता मिली। जिसके बाद उन्होंने हजारों रुपयें के खर्च को चंद सौ रुपयों तक सीमित कर दिया। गरीबों की सेवा के लिए उन्होंने काठमांडू में विश्व स्तरीय सुविधाओं से युक्त ‘तिलगंगा आंख के अस्पताल’ की स्थापना की है।

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नेपाल के लोगों के लिए भगवान

डॉ. संदूक अपनी टीम के साथ मिलकर नेपाल के सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचकर लोगों की आंखों का उपचार करते हैं। डॉक्टर संदूक दूर-दराज के इलाकों में जाकर लोगों को दवाइयां मुहैया कराते हैं।(God of sight) इलाज के लिए वो जिस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, उसमें मात्र 5 मिनट का समय लगता है। आज वह नेपाल के लोगों के लिए भगवान हैं।

भारत सरकार ने किया सम्मानित

डॉक्टर रुइत की सर्जरी से महज तीन दिन में करीब 400 मरीजों की आंखों की रोशनी वापस लौट आई है। यही कारण हैं कि उनके सेवा भाव को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है।(God of sight nepal)

आज वह लोगों के लिए प्रेरणा हैं। उनके द्वारा किए गए कार्य की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।

Shubham Jha
Shubham Jha
शुभम झा (Shubham Jha)एक पत्रकार (Journalist) हैं। भारत में पत्रकारिता के क्षेत्र में बदलाव लाने की ख्वाहिश रखते हैं। वह चाहते हैं कि पत्रकारिता स्वच्छ और निष्पक्ष रूप से किया जाए। शुभम ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से पढ़ाई की है। वह अपने लेखनी के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करते हैं।

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