दुनियाभर में लोकप्रिय मसालों में काली मिर्च का नाम भी शामिल है। खाने को तीखा स्वाद देने वाली काली मिर्च लोगों को बहुत पसंद आती है क्योंकि इसके नुकसान कम और फायदे ज्यादा होते हैं। यूरोप में खाना पकाने में सबसे आम मसालों में सूखी और पिसी हुई काली मिर्च का बहुत इस्तेमाल किया जाता है।काली मिर्च में पेपराइन नामक रसायन होता है जिसकी वजह से इसका स्वाद तीखा होता है। पेपराइन को जठरांत्र तंत्र के फायदेमंद माना जाता है। पाचन में सुधार के अलावा काली मिर्च शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट भी है।
काली मिर्च की खेती।
जहां काली मिर्च की खेती की बात करे तो यह ज्यादातर दक्षिण भारत में ही होती है, लेकिन अब छत्तीसगढ़ के कोंडागाँव के किसान भी अब कली मिर्च की खेती कर रहे है और उन्हें अच्छा मुनाफा भी हो रहा है।
यहाँ होती है इसकी खेती।
छत्तीसगढ़ के कोंडागाँव के चिकिलपुट्टी गाँव में कई सौ एकड़ में फैले जंगल में साल और ऑस्ट्रेलियन टीक के पेड़ों पर काली मिर्च के झाड़ दिख जाएंगे। ये है डॉ. राजाराम त्रिपाठी का मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म, जहां पर जैविक तरीके से औषधीय फसलों की खेती होती है।

जैविक खेती का उत्तम उदाहरण ।
मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म के अनुराग त्रिपाठी बस्तर में काली मिर्च की खेती के बारे में बताते हैं, “पहले कहा जाता था कि केरल (दक्षिण भारत) में इसकी खेती हो सकती है, बस्तर में नहीं हो सकती है, क्योंकि यहां क्लाइमेटिक कंडीशन अलग है। लेकिन मैं दिखाना चाहूंगा, केरल में हो सकता है तो यहां क्यों नहीं हो सकता है।
काली मिर्च के पौधे का मूल स्थान दक्षिण भारत ही माना जाता है। भारत से बाहर इंडोनेशिया, बोर्नियो, चीन, मलय, लंका और स्याम जैसे देशों में भी इसकी खेती की जाती है। विश्वप्रसिद्ध भारतीय गरम मसाले में, ऐतिहासिक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से, काली मिर्च का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है।
ऐसे होती है खेती।
एक एकड़ में ऑस्ट्रेलियन टीक के सात सौ पौधे लगते हैं। जो पूरी तरह से इमारती लकड़ियों में प्रयोग होता है, और इसके साथ काली मिर्च का भी पौधा लगाया जाता है।काली मिर्च के पौधे की पत्तियां आयताकार होती है। इसकी पत्तियों की लम्बाई 12 से 18 सेंटीमीटर की होती है और 5 से 10 सेंटीमीटर की चौड़ाई होती है। इसकी जड़ उथली हुई होती हैं। इसके पौधे की जड़ दो मीटर की गहराई में होती है। इस पर सफेद रंग के फूल निकलते हैं।उसके एक झाड़ से लगभग दस हजार रुपए की आमदनी होती है। किसान को इसमें बहुत ज्यादा मेहनत की भी आवश्यकता नहीं है।काली मिर्च की खेती में खाद की भी जरूरत नहीं पड़ती है, पेड़ से जो पत्तियां गिरती हैं, वही खाद बनाने का काम करती हैं।

कई पौधों के ऊपर हो सकता है काली मिर्च।
काली मिर्च के झाड़ सभी खुरदरी सतह वाले, पेड़ों पर लगा सकते हैं। आम में, कटहल में, और इसके अलावा, जितने हमारे जंगली पौधे हैं। जो कहते हैं जंगल में होते हैं, उन सभी पौधों पर हम, आराम से लगा सकते हैं, और अच्छी खेती प्राप्त कर सकते हैं।