जिंदगी की कठिन परिस्थितियों का सामना कर जो आगे बढ़ता है वही इतिहास रचता है। आज हम आपको बख्शो देवी (Bakhsho Devi) के बारे में बताएंगे, बख्शो रेस जीत कर बहुत से लोगो के लिए प्रेरणा बन कर उभरी हैं।
बख्शो देवी का परिचय
बख्शो देवी हिमांचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के ऊना (Una) की रहने वाली है। उनके पिताजी का देहांत वर्षो पहले हो चुका है। अपने पिता के देहांत के बाद अपनी मां विमला देवी (Vimla Devi) के साथ बख्शो अपने नाना दाताराम (Dataram) के घर रहने लगी। बख्शो अपनी चार बहनों में सबसे छोटी है। वह बचपन से ही घर के कामों में पढ़ाई एवं खेलकूद में माहिर है। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक है। उनके रहने और पढ़ने की व्यवस्था भी सीमित है। वह अपने परिवार के साथ एक झोपड़ी में रहती है।

दौर में मिली सफलता
कठिन परिस्थियों में पलने के बाद भी बख्शो के हौसले काफ़ी मजबूत है। कुछ समय पहले ही ऊना के इंदिरा स्टेडियम (Indira Stadium) में चार दिवसीय युफलेक्स स्टेयर्ज (Uflex Streyarj) मेले के आयोजन में तीसरे दिन एथलेटिक्स (Athletics) के अंदर-19 मुकाबला हुआ जिसमें बख्शो भी प्रतिभागी बनी और 1500 मीटर दौड़ के मुकाबले में प्रथम स्थान प्राप्त कर सबको अचंभे में डाल दिया।

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बख्शो बनी प्रेरणा
बख्शो पहले भी 2015 में पथरीली जमीन पर बिना चप्पल या जूतों के 5000 मीटर दौड़ में ने सभी को पछाड़ दिया था। प्रतियोगिता में भाग लेते समय बख्शो के पास ना ही अच्छे ड्रेस (Dress) थे और ना ही अच्छे जुतें (Shoes) फिर भी -2 डिग्री तापमान में वह स्कूल ड्रेस (School Dress) पहनकर खाली बिना जूतों के ही मैदान में उतरी और गोल्ड मेंडल (Gold Medal) जीतकर सफ़ल हुई। बख्शो ने रेस में दौड़ के गोल्ड मेंडल जीत कर अपना और अपने परिवार का नाम रौशन कीया है।
