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Wednesday, March 22, 2023

ओलंपिक में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन के बाद चैस में भी भारत को मिली ख़ुशख़बरी, जश्न का है माहौल

अगर आप किसी चीज को दिल से पाने की कोशिश करते है तो वह चीज आपको जरूर मिलती है।

इस बात को प्रमाणित किया है चेस ग्रैंडमास्टर हरिका द्रोणावल्ली ने। हरिका ने बचपन से ही चेस के सिवा और किसी चीज़ पर अपना ध्यान बंटने नहीं दिया। चेस के प्रति उनकी दीवानगी का आलम यह है कि वो बिना छुट्टी लिए सालों तक चेस खेलती रहीं और तीन बार वर्ल्ड चैस चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली महिला खिलाड़ी भी बनीं हैं। आइए जानते हैं उनके इस सफर के बारे में।

पिता से सीखा चेस खेलना

आंध्रप्रदेश के गुंटुर की रहने वाली हरिका द्रोणावल्ली के पिता ने उन्हें चेस खेलना सिखाया था। उनकी बड़ी बहन भी चेस खेला करती थी। पहले वो सिर्फ बचपन में इसे एक खेल समझकर खेला करती थी लेकिन जब उन्होंने स्टेट चैंपियनशिप जीता तो चेस के बारे में गंभीरता से सोचना शुरू किया।

पहली बार मेडल जीता हरिका ने

चेस का खेल सीखने के कुछ साल बाद ही उन्होंने पहली बार अंडर-9 नेशनल चैंपियनशिप में भाग लिया और मेडल जीता। 13 साल की उम्र में चेस खेलने वाली हरिका अब पूरी ज़िन्दगी चेस खेलते रहना चाहती हैं। हरिका द्रोणावल्ली के जीवन का केवल एक ही मकसद था चेस खेलना। उन्हें चेस के सिवा और कुछ नजर नहीं आता था।

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हरिका ने नहीं ली एक भी छुट्टी

चेस में वो इतना गुम थीं कि 24 साल तक उन्होंने एक भी दिन छुट्टी नहीं ली। चेस के लिए पूरी दुनिया घूमने वाली हरिका द्रोणावल्ली को बाहर घूमना फिरना ज्यादा पंसद नहीं है। वो ज्यादा दोस्त बनाने की भी कोशिश नहीं करती हैं। उन्होंने साल 2018 में शादी करने के बाद भी चेस खेलना जारी रखा। शादी के एक हफ्ते बाद ही उन्होंनेे खेलना शुरू कर दिया था। उनके पति और घरवाले भी उन्हें आगे बढ़ते देखना चाहते हैं।

मुश्किलों के बाद भी नहीं मानी हार

2017 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में हरिका को बहुत उतार-चढ़ाव देखने पड़े थे। वो हर दिन एक नई चुनौती का सामना कर रही थी। कई बार ऐसा भी हुआ कि लगातार हार जाने के बाद भी वो दुखी नहीं हुई क्योंकि वो अपने परफॉर्मेंस से खुश थी। उस समय उन्होंने जो सीखा वह उन्हें आगे के खेलों में बहुत काम आया।

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कई सम्मान से हो चुकीं हैं सम्मानित

हरिका द्रोणावल्ली ने चेस में कई बार मेडल जीते। हरिका 3 बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पुरस्कार जीत चुकी हैं। हरिका 2012, 2015 और 2017 में विमेंस वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम कर चुकी हैं। अपने बेहतरीन खेल के लिए हरिका को भारत सरकार 2007-2008 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है। इसके ठीक पहले 2006 में हरिका ने वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप (अंडर-18) में स्वर्ण पदक जीता था।

यही नहीं हरिका द्रोणावल्ली को 26 जनवरी 2019 को भारत सरकार ने देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ सम्मान से सम्मानित किया था।

हरिका द्रोणावल्ली का खेल के प्रति त्याग और समर्पण अद्भुत है।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

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