हमारी नेवी के पास बहुत सारे जहाज और पनडुब्बियाँ मौजूद हैं। इन सभी जहाजों और पनडुब्बियों का एक निर्धारित नाम भी होता है। अक्सर लोगों के मन में यह विचार आता है कि इनके नाम किस आधार पर रखे जाते हैं। आईएनएस चक्र, विक्रांत और आईएनएस विराट जैसे नाम किसी व्यक्ति के नाम पर रखे गए हैं या फिर इसके पीछे कोई और कारण है? आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको जहाजों और पनडुब्बियों के नामकरण के पीछे का पूरा इतिहास बताएंगे। तो आइए शुरू करते हैं…

आज के दौर में भी जहाज के बारे में बहुत कम लोगों को ही मालूम होत है। जहाजों और पनडुब्बियों का नाम रखने के लिए भारत में एक संस्था बनाई गई है, जिनका नाम आंतरिक नामकरण कमेटी (INC) है। यह संस्था देश के रक्षा मंत्रालय के तहत काम करती है। नौसेना के असिस्टेंट चीफ इनके इस कमिटी के प्रमुख होते है। सतही परिवहन मंत्रालय, मानव संसाधन विकास, रक्षा मंत्रालय के इतिहास से सेक्शन के प्रतिनिधियों और पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी इस कमिटी के सदस्य होते है।

जिन नामों की सिफारिश नीतिगत निर्देशों के बाद की जाती है, उसे नौसेना प्रमुख मंजूर करते हैं। इसमें जंगी जहाजों के मोटो और क्रेस्ट के लिए राष्ट्रपति की सहमति ली जाती है। जब भी किसी जहाज और सबमरीन का नाम तय किया जाता है तब उस वक्त तोपो के नाम भी एक ही थीम पर हो इसका ध्यान रखा जाता है। जैसे क्रूजर या डिस्ट्रॉयर के नाम बड़े शहर या इतिहास के महान योद्धाओं के नाम पर या बड़े राज्य- राजधानियों के नाम पर रखा जाता है। जैसे कि हम देख सकते है INS दिल्ली, INS कोलकाता, INS चेन्नई, INS मैसूर, INS राणा और INS रंजीत इत्यादि।

बहुत से लोग INS शिवालिक और INS सतपुड़ा जैसे नाम सुनकर सोचते हैं कि एक वर्ग के जहाजों के कई नाम एक ही अक्षर से शुरु होते हैं। इन नामों के पीछे कोई ज्योतिष या शुभ अक्षर का कांसेप्ट हो लेकिन यह सब मानना बिल्कुल गलत है। एक रिपोर्ट के अनुसार युद्ध तोपो के नाम पहाड़ों, हथियारों या नदियों पर रखने की परंपरा है और इस बात को पर भी ध्यान रखा जाता है कि एक श्रेणी के सभी जहाजों और सबमरीनो के नाम का पहला अक्षर समान रहे।