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Sunday, April 2, 2023

नागालैंड की इस गांधीवादी दादी को मिल चुका है पद्मश्री, अभी भी युवाओं से कम नहीं है जोश

बहुत कम लोग होते है जो अपने गांव के बारे में सोचते है। आपका परिवार जहाँ से जुड़ा हुआ होता है वहां के लोगों के लिए सोचना उनके सर्वांगीण विकास के लिए काम करना बहुत बड़ी बात होती है।

इस बात की प्रत्यक्ष उदाहरण हैं भारत के पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड की रहने वाली लेंटिना ओ ठक्कर। लेंटिना गांधीवादी विचारों से प्रभावित हैं। यही कारण हैं कि उन्होंने अपने गांव की स्थिति बदलने की ठानी। केवल 7वीं तक पढ़ी लेंटिना ओ ठक्कर आज अपने गांव को शिक्षित करने का बीड़ा उठाए हुए है। आइये जानते हैं उनके बारे में।

लोगों के किए समर्पित किया जीवन

नागालैंड के नागा हिल्स जिले में मोकोकचुंग जिले के मरेंकोंग गांव में जन्मी लेंटिना ओ ठक्कर कई दशकों से नागालैंड की वादियों में गांधीवादी विचारधारा का प्रसार कर रहीं हैं। वह नागालैंड में ‘गांधीवादी दादी’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। 86 साल की लेंटिना ओ ठक्कर का चेहरा उनके संघर्ष की दास्तां बताने के लिए काफी है।

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अपने गांव की पहली सातवीं तक पढ़ने वाली लेंटिना

लेंटिना शुरूआत से ही समाज सेवा के क्षेत्र में जुड़ी हुई हैं। यही कारण है कि लेंटिना ओ ठक्कर अपने गांव में सातवीं कक्षा तक पहुंचने वाली पहली लड़की थी। ये अपना गांव चुचुइमलांग की पहली महिला हैं, जिन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की है।

गांधीवादी विचारों से हुईं प्रेरित

लेंटिना ओ ठक्कर की शादी गुजरात के रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी नटवर ठक्कर के साथ हुई थी। अपने पति के साथ रहते हुए ही वो गांधीवादी विचारों से प्रभावित हुईं। जिसके बाद साल 1950 में असम की राजधानी गुवाहाटी स्थित कस्तूरबा गांधी आश्रम से उन्होंने शिक्षा ली। गांधी जी के विचारों से प्रभावित लेंटिना और उनके पति नटवर ने 1952 में नागालैंड के चुचुइमलांग में गांधी आश्रम स्थापित किया और हजारों मुश्किलों के बावजूद भी राज्य में गांधी जी की विचारधारा को जीवित रखा।

लोगों उत्थान के लिए करती हैं कार्य

लेंटिना ओ ठक्कर ने अपने गांव में न केवल गांधीवादी विचारों के जरिए लोगों को जागरूक किया बल्कि उन्होंने बच्चों और महिलाओं के उत्थान के लिए भी कार्य किया है। उनके द्वारा निर्मित आश्रम में महिलाओं को शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें तकनीक का भी ज्ञान प्रदान किया जाता है। लेंटिना ओ ठक्कर ने टाटा समाज विज्ञान संस्थान द्वारा निर्मित आश्रम में शिक्षा केंद्र का स्थापित किया है। जिसका उद्घाटन साल 2015 में किया गया था। यह संस्थान लोगों को सामाजिक उद्यमिता और मानव विकास में मास्टर डिग्री प्रदान करती है।

अभी भी युवाओं जैसा है जोश

लेंटिना ओ ठक्कर की उम्र भले ही 86 वर्ष हो गई हो लेकिन उनके अंदर आज भी युवाओं की तरह जोश है। यही कारण है कि दशकों से पहाड़ियों में गांधी जी की विचारधाराओं को फैलाने वाली लेंटिना ओ ठक्कर को गांधीवादी दादी के नाम से भी जाना जाता है। वो आज भी अपने क्षेत्र में लोगों को जागरूक करती हैं। लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करने का कार्य करती हैं।

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कई सम्मान से हुई हैं सम्मानित

लेंटिना ओ ठक्कर के समाज सेवा में किए गए महान कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान ‘पद्मश्री’ सम्मान से सम्मानित किया है। लेंटिना ओ ठक्कर अपने कार्यों की बदौलत कई अन्य सम्मान से भी सम्मानित हो चुकी हैं।

आज सही मायने में लेंटिना ओ ठक्कर लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

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